हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2021 में शनि जयंती 10 जून को होगी. इस दिन शनि देव की विधि विधान से पूजा करने पर शनि की कृपा होती है. भक्त के कष्ट दूर हो जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक़, शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है. ये व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. लोग इनको प्रसन्न करने के लिए तथा इनके कुप्रभाव से बचने के लिए अनेक प्रकार से पूजा करते हैं. शनि जयंती को इस विधि से पूजा अर्चना करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. उनकी कृपा से उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइये जानें शनि जयंती के दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्त्व.
शनि जयंती शुभ मुहूर्त
- अमावस्या तिथि का आरंभ: 9 जून को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से
- अमावस्या तिथि का समापन: 10 जून को शाम 04 बजकर 22 मिनट पर
पूजा विधि: शास्त्रों के अनुसार, शनि जयंती पर शनि देव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. उपासक को इस दिन सुबह उठकर नित्यकर्म और स्नानादि करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें. घर में पूजा स्थल पर शनिदेव की मूर्ति स्थापित कर उस पर तेल, फूल, माला आदि चढ़ाएं. शनिदेव को काला उड़द और तिल का तेल चढ़ाना बहुत शुभ होता है. इसके बाद तेल का दीपक जलाएं और शनि चालीसा का पाठ करें. अब आरती करने के बाद हाथ जोड़कर प्रणाम करें. उसके बाद प्रसाद का वितरण करें. इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को सुंदर भोजन कराएं तथा सामर्थ्य के अनुसार दान- पुण्य करें.
शनि जयंती के दिन इस मंत्र के जप से शनि देव होते हैं प्रसन्न
शनि जयंती के दिन पूजा के बाद नीचे लिखे मंत्रों का जाप करें. यह जाप कम से कम 11 माला का होना चाहिए. जाप शुरू करने से पहले तेल का दीपक अवश्य जलायें तथा मुख दक्षिण दिशा में करें.
- ऊं शं अभयहस्ताय नमः
- ऊं शं शनैश्चराय नमः
- ऊं नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम.
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