सूर्यदेव के एक वर्ष में क्रम से बारह राशियों में प्रवेश करने की प्रक्रिया को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है। जिस दिन सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव के उत्तरायण हो जाने से समस्त शुभ कार्यों का शुभारंभ हो जाता है। हिन्दू संस्कृति में मकर संक्रांति एक ऐसा पावन पर्व है, जिस दिन पवित्र नदियों में स्नान, ध्यान, पूजा-पाठ और श्रद्धानुसार गरीबों को दान करना शुभ फलदायी माना जाता है। 
इस वर्ष है सर्वार्थसिद्ध योग
मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी यानी कल पड़ रही है। इस दिन सर्वार्थसिद्ध योग होने के साथ-साथ शिव प्रदोष व्रत भी है। इसलिए इस बार मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से जीवन में शुभ फल प्राप्त होंगे तथा सकारात्मक ऊर्जा का प्रादुर्भाव भी होगा।
स्न्ाान-दान से पुण्य मिलेगा
मकर संक्रांति के अवसर पर प्रातः सूर्योदय से पूर्व गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्योदय होने पर तांबे के बर्तन में जल, गुड़, लाल चंदन, रोली और लाल पुष्प लेकर ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का निरंतर उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। अगर पवित्र नदियों में स्नान करना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगा जल मिलाकर ‘ॐ गंगे मां नमः’ मंत्र का जप करते हुए स्नान करें। स्नान के बाद श्रद्धानुसार, मूंग की दाल और चावल की खिचड़ी, तिल, गुड़, घी, नमक, तिल और गुड़ या चीनी से बनी गजक, उड़द की दाल आदि के अलावा दैनिक उपयोग में काम आने वाली वस्तुओं का दान गरीबों एवं जरूरतमंदों को करना चाहिए।
बारह राशियों पर प्रभाव
इस वर्ष मकर संक्रांति पर सर्वार्थ सिद्ध योग और रवि योग होने के कारण मकर संक्रांति का मिला-जुला प्रभाव अलग-अलग राशि के जातकों पर देखने को मिलेगा। मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, धनु, मकर, कुंभ तथा मीन राशि के जातकों को जहां इस वर्ष धन लाभ हो सकता है, वहीं पारिवारिक और व्यक्तिगत मामलों में तनाव भी हो सकता है। इन जातकों को इस वर्ष यात्राएं करने का भी अवसर मिलेगा। मेष, वृष, कन्या और वृश्चिक राशि के जातकों को इस वर्ष धन हानि का सामना करना पड़ सकता है। इन जातकों को अकारण ही मानसिक चिंता और संतान पक्ष से कष्ट भी हो सकता है।
करें खास उपाय
इस वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर चूंकि रवि योग भी है, इसलिए शनिदेव की साढ़े साती और ढैय्या से पीड़ित जातकों को भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिव लिंग पर काले तिल, काली उड़द की दाल, गुड़ मिश्रित जल से अभिषेक करना चाहिए। इसके साथ-साथ इस दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करते हुए शिव लिंग का गंगा जल से अभिषेक करना भी शुभ फलदायी है। इससे शत्रुओं से बचाव, यात्रा में लाभ, मानसिक कष्टों से छुटकारा एवं व्यापार में हानि आदि पर रोक लगेगी।
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