इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्तूबर से हो रही है। वहीं इसके शुरू होने से ठीक एक दिन पहले यानी 14 अक्तूबर को सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। 14 अक्तूबर को सूर्य ग्रहण रात 8 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा और 15 अक्तूबर की रात 2 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सूर्य ग्रहण के साए में हो रही है। धार्मिक शास्त्र में एक तरफ जहां नवरात्रि को बहुत पावन माना जाता है, वहीं ग्रहण की घटना को शुभ नहीं माना जाता है। इस वजह से कई लोगों के मन में यह भय बना हुआ है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव शारदीय नवरात्रि की पूजा पर भी होगा। तो चलिए जानते हैं साल के आखिरी सूर्य ग्रहण का नवरात्रि की पूजा पर क्या प्रभाव होगा और घटस्थापना की विधि क्या है…
सूर्य ग्रहण का नवरात्रि की पूजा पर प्रभाव
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
घटस्थापना के समय इन बातों का ध्यान
- सूर्य ग्रहण के दौरान आस-पास का वातावरण दूषित हो जाता है। इसलिए घटस्थापना से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद और घटस्थापना पहले पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- फिर स्नान के बाद तुलसी के पौधे पर गंगाजल छिड़कें।
- इसके अलावा इस दिन तिल और चने की दाल का दान करें।
- इसके बाद ही इस दिन विधि-विधान से घटस्थापना करें, क्योंकि सूर्य ग्रहण के साए में ही शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है।
कलश स्थापना विधि
- शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनें।
- फिर मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें।
- इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें।
- साथ ही इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर आम या अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं।
- फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।
- एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें और इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का आह्वान करें।
- फिर दीप जलाकर कलश की पूजा करें।