श्रीनगर। हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी को ठीक एक साल पहले सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार गिराया था। बुरहान के खात्मे के बाद आतंकी संगठन कमजोर हुआ, लेकिन कश्मीर घाटी में अशांति फैल गई। एक नजर 8 जुलाई 2016 को हुए घटनाक्रम पर –
खुफिया सूत्रों से सेना को जानकारी मिली कि कोकरनाग इलाके के एक घर में मेहमाननवाजी चल रही है। दरअसल, सेब के जंगलों के बीच यह घर था हिज्बुल आतंकी सरताज अहमद शेख के चाचा गुलाम मोहम्मद शेख का। वह चाचा से मिलने आया था और उसके साथ बुरहान वानी तथा एक अन्य आतंकी परवेज अहमद भी था।
खुफिया जानकारी को पुष्ट करने के लिए सेना और पुलिस ने इलाके में काम कर रहे अपने लोगों को खंगाला। वहीं एक कसाई से पुष्टि हुई कि गुलाम मोहम्मद के घर कई मेहमानों की दावत के लिए मांस गया है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ ही 19 राष्ट्रीय रायफल्स को रवाना कर दिया गया। तैयार करते-करते दोपहर होने लगी थी। शाम चार बजे तक इलाके को घेर लिया गया था। सेना की हलचल देख स्थानीय लोग भी हरकत में आ गए थे।
चाचा ने फोन किया, मुसीबत आई है
इससे ठीक पहले सेना ने गुलाम मोहम्मद का वह फोन कॉल ट्रेस कर लिया, जिसमें उन्होंने अपने एक अन्य रिश्तेदार को कहा था कि सरताज एक मुसीबत लेकर आया है। मुसीबत से उनका मतलब बुरहान वानी से था। इसके बाद सेना को पूरा भरोसा हो गया कि हिज्बुल के बडे़ आतंकी वहां दावत उड़ा रहे हैं।
तब तक स्थानीय लोगों की मदद से गुलाम मोहम्मद को भी भनक लग गई थी कि सेना ने इलाके को घेर लिया है। उन्होंने तीनों आतंकियों से वहां से चले जाने को कहा। चूंकि ये आतंकी पहले भी सेना को चकमा देकर भाग चुके थे, इसलिए उन्हें भरोसा था कि इस बार भी ऐसा करने में कामयाब रहेंगे।
सरताज ने इन्कार किया कि आर्मी का मुवमेंट कुछ ज्यादा नजर आ रहा है, लेकिन बुरहान ने कहा, कोई बात नहीं, निकल जाएंगे। तीनों जैसे ही बाहर आए, ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई और महज 15 मिनट में घाटी के दहशतगर्द ढेर हो गए।