आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ईद के दिन घर से बाहर नही निकले. यह वास्तव में एक चौंकाने वाली खबर है. इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. आखिर क्या वजह है कि जो लालू प्रसाद यादव अपने को सेकुलर दिखाने का कोई मौका नही चूकते, वह इस साल के ईद में कहीं नही गए. ये सही है कि उनकी तबीयत पूरी तरह से ठीक नहीं है, पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव तो स्वस्थ हैं. वो भी कहीं नहीं गए.
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दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ईद की सुबह पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ईद के मौके पर गए और मुबारकबाद दी. गांधी मैदान में पिछले 93 सालों से ईद की नमाज अदा करने की परम्परा है. नीतीश कुमार पिछले 12 वर्षों से इस आयोजन में लगातार शामिल हो रहे हैं. नीतीश कुमार ने ही मुख्यमंत्री के तौर पर इसमें शामिल होने की परम्परा की शुरूआत की थी. आज उन्होंने कहा कि 12 वर्ष का एक युग होता है, आज ये युग पूरा हुआ. नीतीश कुमार गांधी मैदान के अलावा खानके मुजबिया ईमारते शरिया समेत आधे दर्जन जगहों पर गए और लोगों को ईद की मुबारकबाद दी.
पर लालू प्रसाद यादव इस अवसर पर कही नही गए, यह चर्चा का विषय है. हांलाकि उन्होंने शुक्रवार को इफ्तार पार्टी दी थी, जिसमें महागठबंधन के सभी नेता शामिल हुए थे. हांलाकि उस दौरान उनके बॉडी लैंग्वेज पर मीडिया में बहुत चर्चा हुई थी कि लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार आसपास बैठने के बावजूद एक दुसरे से बातचीत नही कर रहे थे.
हांलाकि लालू प्रसाद यादव के ईद मिलन में न जाने के पीछे कई वजह है, उसमें प्रमुख है कि मीडिया के सवालों से बचना क्योंकि नीतीश कुमार को समझाने के बयान पर मीडिया जवाब चाहती है. साथ ही, नीतीश के तेवर के बाद ये साफ है कि वो मानने को तैयार नही है, ऐसे में आरजेडी का रूख क्या होगा यह देखना होगा.
पर लालू भले ही ईद मिलने के लिए न निकले हो लेकिन दिनभर वो अपनी अगली रणनीति पर विचार करते रहे. इस बीच पार्टी के कई नेताओं को बुलाकर उन्होंने बयानबाजी पर क्लास भी लगाई.
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