ईरान की परमाणु एजेंसी ने रविवार को पुष्टि की कि उसके फोर्डो, इस्फहान और नतांज परमाणु ठिकानों पर हमले हुए हैं। ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से अमेरिकी हमले की घोषणा के बाद बयान जारी किया। बयान में कहा गया कि ईरान का परमाणु ऊर्जा संगठन ईरानी राष्ट्र को आश्वस्त करता है कि अपने दुश्मनों की दुष्ट साजिशों के बावजूद अपने हजारों वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के प्रयासों से वह इस राष्ट्रीय उद्योग के विकास को नहीं रुकने देगा।
इससे पहले ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी IRNA ने देश के फोर्डो परमाणु ठिकानों पर हमले की बात स्वीकार की थी। इसने बताया कि हमलों में इस्फहान और नतांज परमाणु स्थल भी शामिल थे। IRNA ने सुरक्षा मामलों के प्रभारी इस्फहान के डिप्टी गवर्नर अकबर सालेही के हवाले से कहा कि ठिकानों के आसपास हमले हुए हैं।
‘अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन’
तेहरान की एजेंसी ने यह भी कहा कि उसके परमाणु स्थलों पर हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं। यह कार्रवाई दुर्भाग्य से अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की उदासीनता और मिलीभगत के तहत हुई। अमेरिकी दुश्मन ने हमलों की जिम्मेदारी ली है, जो सुरक्षा समझौते और एनपीटी के अनुसार निरंतर आईएईए निगरानी के अधीन हैं। यह उम्मीद की जाती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जंगलराज जैसी इस अराजकता की निंदा करेगा और ईरान को उसके वैध अधिकारों का दावा करने में समर्थन देगा।
पेजेशकियन ने की मैक्रों से बात
आधिकारिक IRNA समाचार एजेंसी के मुताबिक, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने भी फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ फोन पर बातचीत के दौरान चेतावनी दी कि जायोनी शासन की निरंतर आक्रामकता के प्रति उनके देश की प्रतिक्रिया और भी विनाशकारी होगी। ईरानी अधिकारियों ने कहा कि पास के पहाड़ पर स्थित परमाणु संवर्धन स्थल पर अमेरिकी हमले के बाद तेहरान के दक्षिण में स्थित कोम शहर के निवासियों के लिए कोई खतरा नहीं है।
‘संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है’
इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वह ईरान में परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी बमवर्षकों की ओर से किए जा रहे खतरनाक हमलों से बेहद चिंतित हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘इस बात का जोखिम बढ़ रहा है कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है। इससे नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। इस खतरनाक समय में अराजकता के चक्र से बचना महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने आगे की कूटनीति का आह्वान किया।
फोर्डो, इस्फहान और नतांज परमाणु ठिकानों पर हमले
इससे पहले अमेरिकी सेना ने पहले ईरान के फोर्डो, इस्फहान और नतांज परमाणु ठिकानों पर हमले किए थे। इसके साथ ही अमेरिका इस्राइल की लड़ाई में उसके साथ आ गया। उसका उद्देश्य देश के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करना है, ताकि व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की आशंकाओं के बावजूद एक लंबे समय से चले आ रहे दुश्मन को कमजोर किया जा सके।
ईरान पर इस्राइली हमलों में 865 लोग मारे गए, 3396 घायल
एक मानवाधिकार समूह ने रविवार को कहा कि ईरान पर इस्राइली हमलों में कम से कम 865 लोग मारे गए और 3,396 अन्य घायल हुए हैं। वाशिंगटन स्थित समूह ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स ने पूरे ईरान के आंकड़े पेश किए। इसने कहा कि मरने वालों में 363 नागरिक और 215 सुरक्षा बल के जवान हैं। इस बीच इस्राइल के हवाई अड्डा प्राधिकरण ने रविवार को घोषणा की कि वह ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों के मद्देनजर देश के हवाई क्षेत्र को आने-जाने वाली दोनों उड़ानों के लिए बंद कर रहा है।