उत्तर प्रदेश में अब भवन और भूखंड होंगे सस्ते, पढ़ें पूरी खबर..
वित्तीय संकट से जूझ रहे विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद अब तेजी से नई टाउनशिप विकसित कर सकेंगे। राज्य सरकार टाउनशिप के लिए भूमि खरीदने में मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन योजना के तहत प्राधिकरण व परिषद की चार हजार करोड़ रुपये तक की वित्तीय मदद करेगी। सरकार अर्जित भूमि की कुल लागत का 50 प्रतिशत तक की धनराशि सीड कैपिटल के तौर पर प्राधिकरण-परिषद को 20 वर्षों के लिए मुहैया कराएगी।
सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता ब्याजरहित होने से प्राधिकरण-परिषद के भवन-भूखंड, फ्लैट आदि को विकसित करने की लागत घटेगी जिससे अब उनकी कीमत भी कम होगी। दरअसल, प्रदेशवासियों को वाजिब दाम पर भवन-भूखंड और फ्लैट उपलब्ध कराने के लिए आवास विकास परिषद के अलावा 29 विकास प्राधिकरण व चार विशेष क्षेत्र प्राधिकरण तो हैं लेकिन ज्यादातर के पास लैंड बैंक ही नहीं है।
भूमि न होने से वे मांग के बावजूद नई टाउनशिप विकसित नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में बिल्डरों द्वारा बुनियादी सुविधाओं तक का ध्यान न रखते हुए अनियोजित तरीके से आवासीय कालोनियां बनाकर मनमानें दाम पर भवन-भूखंड बेचे जा रहे हैं। अवैध कालोनियों और शहरों के अनियोजित विकास पर अंकुश लगाने के साथ ही योगी सरकार ने अब शहरों के समग्र व समुचित विकास के लिए सभी सुविधाओं वाली सुनियोजित नई टाउनशिप विकसित करने की अहम पहल की है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन योजना शुरू करने का निर्णय किया गया। निर्णय के संबंध में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि पहली बार शुरू की जा रही इस योजना के तहत राज्य सरकार विकास प्राधिरणों व परिषद को नई टाउनशिप के विकास या पहले से विकसित टाउनशिप के विस्तारीकरण के लिए तेजी से भूमि अर्जन में सीड कैपिटल के रूप में वित्तीय सहायता देगी।
शर्मा के मुताबिक भूमि की कुल लागत का 50 प्रतिशत तक की धनराशि 20 वर्ष की अवधि के लिए प्राधिकरण-परिषद को उपलब्ध कराई जाएगी।गौर करने की बात यह है कि ब्याजरहित धनराशि मिलने से प्राधिकरण-परिषद का भूमि अर्जन का खर्चा कम होगा जिससे नई टाउनशिप में भवन-भूखंड व फ्लैट विकसित करने की लागत घटेगी। इससे प्राधिकरण-परिषद के भवन-भूखंड, फ्लैट आदि निजी क्षेत्र की तुलना में सस्ते होंगे। चूंकि प्राधिकरण-परिषद कीमत तय करने में मनमानी नहीं कर सकते इसलिए बेघरों को प्राधिकरण-परिषद से पक्की छत मिलने का खर्चा भी कम होगा।