प्रदेश, मंडल व जिला स्तर पर अलग-अलग इकाई मानते हुए आरक्षण तय किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने ही वर्ष 2010 में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था दी थी। उत्तर प्रदेश में इसके बाद वर्ष 2012 व 2017 के चुनाव पुरानी आरक्षण की व्यवस्था के आधार पर हो चुके हैं। इसलिए इन दोनों ही चुनाव में जो सीटें आरक्षित की गई थीं उन्हें शून्य माना जा सकता है। आयोग की सिफारिश के आधार पर आरक्षण का अनुपात तय किया जाएगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि एससी, एसटी व ओबीसी की कुल आरक्षित सीटें 50 प्रतिशत से अधिक न हो।
उत्तर प्रदेश सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए नगर निगम और नगर पालिका परिषद अधिनियम में करेगी संशोधन
सुप्रीम कोर्ट से नगरीय निकाय चुनाव को हरी झंडी मिलने के बाद अब प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की संस्तुतियों के आधार पर निकाय सीटों में ओबीसी आरक्षण के लिए नगर निगम और नगर पालिका परिषद अधिनियम में संशोधन करने जा रही है।
बुधवार यानी आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में नगर विकास विभाग इसके लिए अध्यादेश का प्रस्ताव सामान्य नगरीय निकाय निर्वाचन-2023 उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 एवं उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 लाने जा रहा है। अधिनियम में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर मेयर व अध्यक्ष की सीटों में आरक्षण के प्रावधान जोड़े जाएंगे। मेयर का आरक्षण पहले की तरह प्रदेश स्तर को इकाई मानते हुए किया जाएगा।
नगर पालिका परिषद को मंडल इकाई मानते हुए आरक्षित किया जाएगा जबकि नगर पंचायतों को जिला स्तर पर इकाई मानते हुए आरक्षण तय किया जाएगा। दरअसल, हाईकोर्ट के आदेश पर गठित उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की संस्तुतियों को लागू करने के लिए प्रदेश सरकार हरी झंडी पहले ही प्रदान कर चुकी है। अब बुधवार को कैबिनेट बैठक में अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश का प्रस्ताव लाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार नई व्यवस्था के तहत अब आयोग की इसी संस्तुतियों के आधार पर सरकार पिछड़ों की हिस्सेदारी तय करेगी। इसके लिए सीटों के आरक्षण व्यवस्था में बड़ा बदलाव होगा।