उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे 41 मजदूरों में लखीमपुर खीरी के गांव भैरमपुर निवासी 25 वर्षीय मंजीत भी शामिल है। मंगलवार को जैसे ही खबर मिली कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को जल्द ही बाहर निकाला जा सकता है तो बेटे के इंतजार में गुमसुम बैठी मां का चेहरा चमक उठा।
उत्तरकाशी से 16 दिन बाद अच्छी खबर आई है। निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रैट माइनर्स की टीम ने मैन्युअल ड्रिलिंग पूरी की। इसके बाद श्रमिकों तक पाइप पहुंच गया। मेडिकल टीम सुरंग के अंदर दाखिल हो गई है। यह खबर मिलते ही लखीमपुर खीरी के गांव भैरमपुर निवासी मंजीत की मां की आंखें चमक उठी हैं। वह अपने बेटे का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। मंजीत के पिता चौधरी उत्तरकाशी में ही मौजूद हैं। उनके पास मोबाइल फोन नहीं है। किसी दूसरे के फोन से परिजनों को सूचना दी है।
बेलराया इलाके से पांच किलोमीटर की दूरी पर जंगल किनारे बसे गांव भैरमपुर में मंजीत का परिवार रहता है। यहां उसके माता-पिता, दो बहनें और बूढ़े दादा रहते हैं। इन्हीं के भरण पोषण के लिए मंजीत उत्तरकाशी मजदूरी करने गया था। मां चौधराइन ने बेटे से कहा था कि दिवाली पर चले आना, लेकिन वह मजबूरी वश नहीं आ सका और फिर टनल हादसा हो गया। घटना के दूसरे दिन मंजीत के पिता चौधरी उत्तरकाशी रवाना हो गए थे। इधर, बेटे के इंतजार में मां की बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
बोलीं- बेटा जल्दी घर आ जाए
मंगलवार की सुबह खबर मिली थी कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को जल्द ही बाहर निकाला जा सकता है, यह खबर सुनते ही बेटे के इंतजार में गुमसुम बैठी मां का चेहरा चमक उठा। उन्होंने बताया कि बचाव कार्य में लगी मशीनें जब रुक जाती थीं, तो ऐसा लगता था कि जिंदगी रुक गई। अब उनकी जान में जान आई है। वह हर पल भगवान से यही प्रार्थना कर रही थीं कि उनके बेटे समेत सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकल आएं। मंजीत की बहनों ने बताया कि वह भाई को बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। उसके घर लौटने पर वह भैया दूज का प्रसाद खिलाएंगी।