पंचकेदारों में प्रतिष्ठित तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए है। इस अवसर पर मंदिर को फूलों से सजाया गया था। वहीं, कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ जी की उत्सव डोली ने स्थानीय वाद्य यंत्रों ढोल- दमाऊ सहित बाबा तुंगनाथ के जय उद्घोष के साथ प्रथम पड़ाव चोपता को प्रस्थान किया। इस अवसर पर 500 से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे।
प्राप्त सूचना के मुताबिक बीती 4 नवंबर को श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट बंद हो गए है। इस अवसर पर अपने संदेश में श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष यात्रा के दौरान एक लाख सत्तर हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान तुंगनाथ जी के दर्शन किए। बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने भी कपाट बंद होने अवसर पर श्रद्धालुओं को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। वहीं,कपाट बंद होने के श्री तुंगनाथ मंदिर में यज्ञ- हवन किया गया था।
वहीं, कपाट बंद की प्रक्रिया के दौरान भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि स्वरूप में ले जाया गया। इस दौरान शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों, फल पुष्पों,अक्षत से ढक दिया गया। इसके बाद मठापति राम प्रसाद मैठाणी, प्रबंधक बलबीर नेगी डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित की उपस्थिति में पुजारी अतुल मैठाणी तथा अजय मैठाणी ने तुंगनाथ मंदिर के कपाट बंद किए।
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