पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित भू-कानून समिति ने अपनी रिपोर्ट बीते वर्ष सितंबर माह में मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इसकी सिफारिशों के अनुरूप नया भू कानून बनाए जाने का इंतजार हो रहा है।
प्रदेश में भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे पर गरमाई सियासत के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय प्रारूप समिति का गठन किया गया है। यह समिति पूर्व में गठित भू-कानून समिति की ओर से उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट का विस्तृत परीक्षण कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
इस संबंध में अपर सचिव राजस्व डॉ. आनंद श्रीवास्तव की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित भू-कानून समिति ने अपनी रिपोर्ट बीते वर्ष सितंबर माह में मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इसकी सिफारिशों के अनुरूप नया भू कानून बनाए जाने का इंतजार हो रहा है।
कई परीक्षणों के बाद अब प्रारूप समिति का गठन
समिति ने राज्य में जमीन खरीदने के मानकों को कड़ा करने, राज्य के प्रत्येक भूमिधर को भूमिहीन होने से बचाने, निवेश के नाम पर ली जाने वाली भूूमि पर लगने वाले उद्यम में राज्य के 70 प्रतिशत लोगों को रोजगार देने, प्रदेश में 12.50 एकड़ से अधिक भूमि के आवंटन पर रोक लगाने समेत कई अन्य सिफारिशें की हैं।
समिति की कई सिफारिशें पड़ोसी राज्य हिमाचल के भू-कानून के अनुरूप की गई हैं। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इसे तत्काल लागू कर देगी, लेकिन भू-कानून में संशोधन के मामले में सरकार जल्दबाजी नहीं करना चाहती। कई परीक्षणों के बाद अब प्रारूप समिति का गठन किया गया है।
अपर सचिव डॉ. श्रीवास्तव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि यह समिति आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञों, अधिकारियों को सुझाव देने या विषयगत प्रकरण में अपना अभिमत देने के लिए बुला सकती है। हालांकि प्रारूप समिति को अपनी रिपोर्ट सरकार को कब तक सौंपनी है, आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है।
समिति में शामिल सदस्य
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में गठित प्रारूप समिति में प्रमुख सचिव न्याय विभाग, सचिव राजस्व विभाग, सचिव सामान्य प्रशासन और अपर सचिव मुख्यमंत्री जगदीश कांडपाल को बतौर सदस्य शामिल किया गया है।