उत्तराखंड में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अब कई चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। कुछ समय पहले तक जहां कम सैंपलिंग को लेकर चिंता थी। अब सैंपलिंग बढ़ी तो सैंपलों का बैकलॉग परेशानी का सबब बन रहा है। अलग-अलग लैब में लंबित जांचों का आंकड़ा सात हजार के पार पहुंच गया है। इससे न केवल सैंपल खराब होने का डर है बल्कि भविष्य की आशंकाएं भी लंबे वक्त तक बनी रहेंगी।
लॉकडाउन का तीसरा चरण शुरू होने तक प्रदेश में संक्रमितों का आंकड़ा 61 था, जो अब एक हजार से ऊपर है। कारण यह कि लॉकडाउन 3.0 में मिली छूट के बाद रोजाना सैकड़ों की संख्या में प्रवासी उत्तराखंड लौटने लगे। बहरहाल प्रवासियों की आमद अब धीरे-धीरे कम हो रही है। यानी कोरोनाकाल के इस संकट का भी अब अंतिम चरण है।
इसके बावजूद खतरा तब टला जानिए, जब सैंपलों का बैकलॉग निपटे। क्योंकि, एकसाथ बड़ी संख्या में जांच रिपोर्ट आने से एकाएक बीमारी का बोझ भी बढ़ सकता है। एक चिंताजनक पहलू यह भी है कि इस बैकलॉग में अकेले हरिद्वार के 2994 सैंपल हैं, जबकि ट्रेन से बड़ी संख्या में प्रवासी धर्मनगरी पहुंचे। न केवल हरिद्वार बल्कि पहाड़ के विभिन्न जनपदों के लोग भी यहां क्वारंटाइन हैं। इसके अलावा टिहरी के भी 1528 सैंपल की जांच अभी लंबित है। जबकि नौ पर्वतीय जिलों में यह सर्वाधिक प्रभावित जिला है।
यहां हो रही कोरोना की जांच
हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज, एम्स ऋषिकेश, दून मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, आइआइपी और दून की एक निजी लैब।
अब प्राइवेट लैब को भी जोड़ने की कवायद
प्रदेश में सैंपलिंग बढऩे से सरकारी लैब में जांच का दबाव बढ़ गया है। बैकलॉग से इतर हर दिन तकरीबन 1000-1200 नए सैंपल भेजे जा रहे हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार अब निजी पैथोलॉजी लैब में भी कोरोना सैंपल की जांच कराएगी।
उत्तर प्रदेश व अन्य राज्य जिस रेट पर टेस्टिंग करा रहे हैं, उसी रेट पर प्रदेश में भी निजी लैब से सैंपल की जांच कराई जाएगी। इसका भुगतान सरकार करेगी। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। बताया गया कि श्री महंत इंदिरेश और हिमालयन अस्पताल में भी जांच शुरू होनी है। लेकिन, मामला एनएबीएल सॢटफिकेट पर अटका हुआ है। जिसका समाधान जल्द करने की बात कही जा रही है। ट्रू-नेट मशीन से भी कोरोना जांच की जाएगी।
बढ़ेगा जांच का दायरा
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के मुताबिक, आइआइपी में भी जांच शुरू कर दी गई है। अगले कुछ वक्त में जांच का दायरा और बढ़ाया जाएगा। अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में भी जांच शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। एम्स श्रषिकेश व श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की क्षमता बढ़ाई जाएगी। श्री महंत इंदिरेश अस्पताल और हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में भी जांच शुरू होनी है। फिलवक्त इसमें एनएबीएल सॢटफिकेट का अड़ंगा लगा हुआ है। उम्मीद है कि इसका भी जल्द समाधान हो जाएगा।