लिंगानुपात को लेकर हमेशा चर्चों में बना रहने वाले उत्तराखंड, लिंगानुपात के मामले में कुछ सुधार आया है. इसको लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्री अपनी ख़ुशी जाहिर की है जिसमें उन्होंने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जब उत्तराखंड आई है तब से इस मामले में सुधार आया है जबकि कांग्रेस के समय में लिंगानुपात एक बड़ी समस्या थी. इसके लिए स्वयं मुख्यमंत्री ने सूबे में बेटियों की संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए एक समीक्षा बैठक ली थी. जिसमें उन्होंने अभियान चलाए जाने के निर्देश दिए थे. उसीका नतीजा है कि आज इस मामले में कुछ सुधार आया है .
रेखा आर्या ने बताया कि घटते लिंगानुपात को लेकर सूबे में चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का नतीजा है कि पिथौरागढ़ और चंपावत जैसे जिलों में भी बेटियों के जन्म दर में सुधार हुआ है.
साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि आंगनबाड़ी और एएनएम कर्मियों के जरिए सर्वे कराया गया था. जिसमें इस बात की पुष्टी हुई थी कि सूबे में बेटियों के जन्म दर में पहले से सुधार हुआ है. वहीं रेखा आर्या ने बताया कि पहले जहां पिथौरागढ़ में में लिंगानुपात 830 था वो अब बढ़ कर 924 हो गया है वहीं चंपावत में भी लिंगानुपात बढ़ चुका है.
वहीं देहरादून में 832, हरिद्वार में 921, पौड़ी गढ़वाल में 705, टिहरी गढ़वाल में 953, रुद्रप्रयाग में 879, उत्तरकाशी में 825, ऊधमसिंहनगर में 948, अल्मोड़ा में 986, नैनीताल में 854 चमोली में 950 और बागेश्वर में 879 में है.
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