नेपाल सीमा पर टनकपुर से लेकर पीलीभीत तक टाइगर संरक्षण के लिए उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश वन विभाग के अफसरों ने संयुक्त प्रयास शुरू कर दिए हैं। सुरई फारेस्ट रेंज में दो दिन तक दोनों राज्यों की अफसरों की संयुक्त बैठक में आपरेशन मानसून के तहत टाइगर संरक्षण की कार्य योजना तैयार की गयी। इसके साथ ही वन विभाग के फ्रंट लाइन अफसरों को लंबी दूृरी की गश्त का अभ्यास भी कराया गया।
वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश में कुल 100 टाइगर हैं। इनका संरक्षण दोनों राज्यों के लिए अफसरों के लिए चुनौती है। इसके साथ ही वन्य जीव संरक्षण भी रोकना वन विभाग की जिम्मेदारी है। इसको लेकर दोनों राज्यों ने मिलकर दो दिन तक मंथन किया। संयुक्त बैठक में निर्णय लिया गया कि हर 15 दिन में दोनों राज्यों के फारेस्ट गार्ड से लेकर रेंजर तक के कुल 40 अफसर रोजाना आठ से 10 किमी की जंगलों में गश्त करेंगे।
इस दौरान मिलने वाले सूचनाओं का दोनों राज्य आपस में आदान-प्रदान करेंगे। गश्त के दौरान वन्य जीव संघर्ष को रोकने के उपाय भी खोजकर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि दोनों राज्यों के अफसराें की बैठक के दौरान ही फ्रंट लाइन के 40 कर्मचारियों को लंबी दूरी का अभ्यास भी कराया गया।
इस दौरान वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त के साथ ही पीलीभीत टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. राजा मोहन, डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल, डीएफओ तराई पूर्वी वन प्रभाग नितीशमणी त्रिपाठी समेत दोनों राज्यों के उप प्रभागीय वनाधिकारी से लेकर रेंजर तक के अफसर मौजूद रहे।
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