पूर्व सैनिकों को साधने के लिए उत्तराखंड सरकार ने वित्त विभाग की संस्तुति की अनदेखी कर दी। वित्त विभाग ने पूर्व सैनिकों को कैंटीन से मिलने वाली शराब की कीमतों में कटौती की जितनी सिफारिश की थी सरकार ने उसके मुकाबले दो गुना से भी ज्यादा दाम में कमी कर दी।
हाल के दिनों में पूर्व सैनिकों ने प्रदेश सरकार के सामने मांग रखी थी कि कैंटीन से मिलने वाली शराब की कीमतों में कटौती की जाए। मुख्यमंत्री हरीश रावत जल्द मांग पूरी करने का आश्वासन दिया था।
इसके बाद शासन ने आबकारी विभाग से प्रस्ताव तय करने को कहा तो विभाग ने यह कहते हुए असहमति जता दी कि इससे 30 से 40 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ेगा। आबकारी विभाग की टिप्पणी के बाद वित्त सचिव डीएस गर्ब्याल ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जता दी।
इसके बाद इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के पास भेजा गया जो विभागीय मंत्री भी हैं। मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को 30 नवंबर को आयोजित कैबिनेट में रखने का निर्देश दिया। इसके बाद वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव को फिर मंगवाया और सहमति दे दी।
वित्त विभाग ने रम और व्हिस्की पर 10 रुपये और बीयर पर 5 रुपये प्रति बोतल की दर से कीमतों में कटौती को मंजूरी दी थी, लेकिन बुधवार को हुई कैबिनेट ने रम की कीमतों में 25, व्हिस्की की कीमतों में 35 और बीयर की कीमत 10 रुपये प्रति बोतल के हिसाब से कटौती करने की मंजूरी दे दी। इस तरह से प्रदेश सरकार ने चुनावी मकसद के लिए वित्त की स्वीकृति के मुकाबले शराब की कीमतों में अधिक कटौती कर दी।
चालू वित्त वर्ष के दौरान आबकारी विभाग का लक्ष्य 2100 करोड़ रुपये का है, जो वित्त वर्ष 2015-16 में 1800 करोड़ रुपये के स्तर पर था। जानकारी के मुताबिक आबकारी विभाग अभी निर्धारित लक्ष्य से पीछे चल रहा है।
पूर्व सैनिकों के लिए शराब की कीमतों में कटौती से विभाग को 30-40 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ेगा। आबकारी विभाग के अधिकारी दबी जुबान से यह मांग करने लगे है कि शराब की कीमतों में कटौती के मुताबिक विभाग का लक्ष्य भी कम किया जाए।
कैबिनेट के इस फैसले से राजस्व के मद में लगभग 30 से 40 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। प्रदेश में पूर्व सैनिकों की तादात अच्छी खासी है।