पंजाब का बहुचर्चित 6000 करोड़ रुपए का सिंथेटिक ड्रग मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है.गुजरात चुनाव: राहुल गांधी पहुंचे सोमनाथ मंदिर, किया जलाभिषेक
चंडीगढ़ की एक स्वयंसेवी संस्था लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल द्वारा दायर की गई एक याचिका की सुनवाई करते हुए मंगलवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की बेंच ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं. HC ने कहा है कि पंजाब के पूर्व राजस्व मंत्री और अकाली दल नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर लगे ड्रग माफियाओं से संबंध के आरोप जांच का विषय है.
जांच के लिए स्वतंत्र
कोर्ट ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय जांच के लिए स्वतंत्र है और मामले की जांच कर रही STF प्रमुख ईडी से तालमेल करके जांच कर सकते हैं. जांच में सामने आए तथ्य हाई कोर्ट के सामने रखे जाएं.
दबाव में नहीं हुई थी कार्रवाई
गौरतलब है कि चंडीगढ़ की स्वयंसेवी संस्था लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल ने अपनी अर्जी में कहा था कि कथित तौर पर ड्रग तस्करों से संबंध रखने के आरोपी बिक्रमजीत सिंह मजीठिया जांच के समय एक प्रभावशाली मंत्री थे. पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल का नजदीकी रिश्तेदार होने के नाते पंजाब पुलिस ने दबाव में रहते हुए उन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
बिक्रमजीत सिंह की भूमिका का खुलासा
संस्था ने अपनी अर्जी में कहा था कि एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के अधिकारी निरंजन सिंह ने सिंथेटिक ड्रग मामले के तीन आरोपियों जगजीत सिंह चहल, जगदीश भोला और मनजिंदर सिंह औलख के बयान दर्ज किए थे, जिनमें बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की भूमिका सामने आई थी.
निर्दोष नहीं मजीठिया
सुनवाई के दौरान ईडी के अधिकारी निरंजन सिंह, जिन्होंने बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को समन देकर पूछताछ के लिए बुलाया था, उनके वकील अनुपम गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि अब तक की जांच में जो कुछ भी सामने आया है, उसके आधार पर बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को निर्दोष नहीं कहा जा सकता. उनकी भूमिका की जांच करवाई जानी चाहिए.
31 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई
उन्होंने कहा कि इस मामले में एक सीलबंद रिपोर्ट निरंजन सिंह पहले ही हाईकोर्ट को दे चुके हैं, जिसके आधार पर पंजाब पुलिस की एसटीएफ अपनी जांच आगे बढ़ा सकती है. मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी.