एनसीईएल को 25 जनवरी 2023 को बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया था। आज सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पूसा परिसर में आयोजित संगोष्ठी में कहा कि एनसीएल को अब तक 7000 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है। आज अमित शाह ने पांच एनसीईएल सदस्यों प्रमाण पत्र भी दिया है।
सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि नेशनल कोऑपरेटिव फॉर एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) को अब तक 7,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है। एनसीईएल का नया लोगो और वेबसाइट लॉन्च किया गया है। एनसीएल यह सुनिश्चित करेगी कि निर्यात के लाभ की जानकारी किसानों और सहकारी समतियों को 50 फीसदी साझा करेगी।
अमित शाह ने राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि अभी एनसीईएल एक अस्थायी कार्यालय से काम कर रहा है। वह लगातार कर्मचारियों को भर्ती कर रहे हैं। इसके अलावा उन्हें अभी तक 7,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं। एनसीएल निर्यात के मुनाफे को साझा करेगी और किसानों को निर्यात बाजार के लिए उत्पाद बनाने में भी मदद करेगी।
एनसीईएल किसानों से खरीदेगी उत्पाद
एनसीईएल सदस्य किसानों से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं को एमएसपी पर खरीदेगा।इसके बाद वह उस उत्पाद से होने वाले मुनाफे में से 50 फीसदी हिस्सा किसानों को साझा करेगी। यह राशि किसानों के बैंक अकाउंट में जमा होगी। अमित शाह ने पूसा परिसर में आयोजित संगोष्ठी में पांच एनसीईएल सदस्यों प्रमाण पत्र भी दिए।
इस संगोष्ठी में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि एनसीईएल के निर्माण से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और देश के विकास और ग्रामीण परिवर्तन में योगदान मिलेगा। यह सहकारी क्षेत्र निर्यात क्षमता का दोहन कर सकता है और भारत को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ने के लिए बढ़ावा दे रहा है।
इसके आगे वह कहते हैं कि सहकारी समितियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करने वाले गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्माण पर ध्यान देना होगा। इस कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा, सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार और एनसीईएल प्रमुख पंकज कुमार बंसल भी उपस्थित थे।
एनसीईएल के बारे में
एनसीईएल को 25 जनवरी 2023 को बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया था। इसमें 2,000 करोड़ रुपये अधिकृत शेयर पूंजी है। जो किसान निर्यात में रुचि रखते हैं वह इस समीति के सदस्य बनने के लिए पात्र हैं।
इसका उद्देश्य देश की भौगोलिक सीमाओं से परे व्यापक बाजारों तक पहुंच बनाकर भारतीय सहकारी क्षेत्र में उपलब्ध अधिशेष के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करना है। देश में लगभग 8 लाख सहकारी समितियाँ हैं जिनमें 29 करोड़ से अधिक सदस्य हैं।