कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी गुरुवार को विधानसभा में राज्य का बजट पेश करने के लिए विधानसभा पहुंच गए हैं। थोड़ी देर में वह बजट पेश करेंगे। यह कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जदएस) की गठबंधन वाली सरकार का पहला बजट है। इस बजट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं खासतौर से किसानों की कर्जमाफी को लेकर क्योंकि जदएस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में इसका वादा किया था। घोषणापत्र के अनुसार मुख्यमंत्री पद संभालने के 24 घंटे के अंदर कुमारस्वामी ने किसानों के 53,000 करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने का वादा किया था।हालांकि उनका कहना है कि वह अब तक वादा इसलिए पूरा नहीं कर पाए क्योंकि उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। कुमारस्वामी ने राज्य के किसानों को यह भरोसा दिया है कि वह कर्जमाफी की घोषणा करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बजट को लेकर कहा, ‘कर्नाटक बजट की पूर्व संध्या पर मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी कांग्रेस-जदएस गठबंधन वाली सरकार अपने वादे को निभाते हुए किसानों के कर्ज को माफ करेगी और खेती को अधिक लाभदायक बनाएंगे। यह बजट हमारी सरकार के लिए पूरे देश के किसानों में एक उम्मीद की रोशनी बनाने का मौका है।’
जहां एक तरफ बजट से बहुत ज्यादा उम्मीदे हैं वहीं कुमारस्वामी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर से उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री और गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे सिद्धारमैया की वजह से मुश्किल हो रही है। सिद्धारमैया ने निर्णय लिया है कि पिछली कांग्रेस सरकार में घोषित हुईं कल्याणकारी योजनाएं जारी रहेंगी। बजट को लेकर काफी बातचीत हुई। सिद्धारमैया चाहते हैं कि एक फ्रेश की बजाए सप्लीमेंटरी बजट पेश किया जाए क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले मार्च में ही उन्होंने एक पूरक बजट पेश किया था।
अर्थशास्त्री डी राजशेखर के अनुसार राज्य के किसानों की कर्जमाफी एक टोकन की तरह है क्योंकि राज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से किसानों का कर्ज माफ करने में सक्षम नहीं है जैसा कि जदएस ने घोषणापत्र में वादा किया है। अपने बजट में सिद्धारमैया ने 1.62 लाख करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्ति का अंदाजा लगाया था। चूंकि राज्य में उन्होंने 13 बजट पेश किए हैं इसलिए उन्हें राज्य के आर्थिक हालात की बेहतर जानकारी है। मुझे लगता है कि उनका अनुमान सटीक होगा। ऐसे में किसानों की कर्जमाफी के लिए 53,000 करोड़ रुपए देना राजस्व का एक-तिहाई हिस्सा होगा जोकि होना संभव नहीं है।