कर्नाटक में लंबे पॉलिटिकल ड्रामे के बाद शनिवार शाम आखिरकार ये तय हो गया कि राज्य के असली किंग एच.डी कुमारस्वामी होंगे. मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सदन के पटल पर बहुमत साबित करने के लिए कांग्रेस, जेडीएस या अन्य विधायकों को अपने खेमे में नहीं ला पाए और एक भावुक भाषण के साथ उन्होंने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. बावजूद इसके कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को आजाद रहने की अनुमति नहीं दी है.
येदियुरप्पा के इस्तीफे को लोकतंत्र की जीत और कांग्रेस-जेडीएस की मजबूत रणनीति का परिणाम बताया जा रहा है. दरअसल, चुनाव नतीजे घोषित होने के पश्चात ही कांग्रेस-जेडीएस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने विधायकों को बचाने की थी. बीजेपी को 104 सीटों पर जीत मिली, लिहाजा येदियुरप्पा को सरकार बनाने और उसे बचाने के लिए 7 और विधायकों के समर्थन की दरकार थी. क्योंकि चुनाव में कांग्रेस-जेडीएस के अलावा सिर्फ एक निर्दलीय और दो अन्य विधायक चुनकर आए, ऐसे में बीजेपी के पास कांग्रेस-जेडीएस विधायकों में सेंध लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. यही वजह रही कि नतीजे आने के बाद ही कांग्रेस और जेडीएस ने अपने-अपने विधायकों को इकट्ठा किया और छुपाकर रखा. शनिवार को येदियुरप्पा सरकार के फ्लोर टेस्ट से पहले इन विधायकों को विधानसभा लाया गया.
अब भी ‘आजाद’ नहीं विधायक
बीजेपी की सरकार गिरने के बाद भी इन विधायकों को घर नहीं भेजा गया है. अंग्रेजी अखबार द हिंदू की खबर के मुताबिक, दोनों पार्टी के विधायकों को अभी भी आराम नहीं दिया गया है. हालांकि, उन्हें अब रिजॉर्ट से निकाल लिया गया है, लेकिन शनिवार को जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार पर स्थिति साफ होने के बाद इन विधायकों को बेंगलुरु के ही दो प्राइवेट होटल में रखा गया है.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस और जेडीएस अभी भी बीजेपी से चौकन्नी है. दरअसल, बीजेपी की सरकार गिर जाने के बाद एचडी कुमारस्वामी को सरकार बनाने का मौका जरूर मिल गया है, लेकिन उन्हें भी सदन के सामने बहुमत साबित करना होगा. राज्यपाल वजुभाई वाला ने शनिवार शाम एचडी कुमारस्वामी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और 15 दिन के अंदर बहुमत साबित करने का वक्त दिया.
राज्यपाल के आमंत्रण के बाद कुमारस्वामी 23 मई को शपथग्रहण करेंगे. इसके बाद उन्हें सदन में बहुमत साबित करना होगा. ऐसे में बीजेपी को मात देने के बावजूद कांग्रेस और जेडीएस फूंक-फूंककर कदम रख रही है और वह बहुमत साबित हो जाने तक किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहती है.
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