हनुमान जी के जन्म की अनेक दिव्य एवं रहस्यमयी कथाएं हैं। अगस्त्य संहिता के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी मंगलवार को स्वाति नक्षत्र और मेष लगन में भगवान शंकर ने हनुमान के रूप में अंजना के गर्भ से अवतार लिया था और उसी दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारतीय ज्योतिष पंचांगों के अनुसार कुछ विद्वान हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास कृष्ण पक्ष के मेष लगन की चतुर्दशी मंगलवार को सायंकाल के समय मानते हैं। कुछ विद्वान ‘चैत्र-मासि सिते पक्षे हरि दिन्यां मघाभिद्ये, नक्षत्र स समुत्पन्नो हनुमान रिपुसूदन:’ के तहत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और मघा नक्षत्र में श्री हनुमान जी को अवतरित मानते हैं। ऐसे में कुछ विद्वान चैत्र मास के मंगलवार और कुछ शनिवार की पूर्णिमा को ही हनुमान जी का जन्म दिवस मानते हैं। उसी के आधार पर देशभर में 11 अप्रैल, मंगलवार की पूर्णिमा को ही हनुमान जयंती उत्सव मनाया जा रहा है।
विद्वानों के अनुसार, कल त्रेता युग जैसा संयोग पुन: बनेगा। हनुमान जी के प्रिय वार मंगलवार के साथ पूर्णिमा तिथि और चित्रा नक्षत्र रहेगा। सोने पर सुहागे का काम कर रहे हैं गजकेसरी और अमृत योग। जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है उनके लिए कल का दिन खास है। हनुमान जी मंगलवार के स्वामी हैं। शनिदेव ने उन्हें वचन दिया था की वह उनके भक्तों पर अपनी कृपा रखेंगे।
मंगल अथवा शनि के कारण अगर आपके पारिवारिक जीवन में परेशानीयां आ रही हैं, छोटी-छोटी दुर्घटनाओं के कारण कष्ट प्राप्त हो रहे हैं, तो कल के दिन हनुमान जी की पूजा विशेष लाभप्रद रहेगी। मंगल-शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र अधिक शुभ होते हैं। ज्योतिषशास्त्र में वर्णित है कि इस कुप्रभाव को दूर करने के लिए हनुमान जयंति से अधिक शुभ दिवस कोई हो नहीं सकता। करें ये उपाय, होगा शांत शनि का प्रकोप
हनुमान जी के निमित्त मंगलवार को व्रत रखें। हनुमान चालीसा, शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनि की वस्तुओं का दान करें।
लाल रंग का लंगोटा हनुमान जी को अर्पित करें।
लाल वस्त्र में दो मुठ्ठी मसूर की दाल बांधकर किसी भिखारी को दान करें।
हनुमान जी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाएं।
लाल चंदन की अभिमंत्रित माला धारण करें।
शनि रत्न नीलम तथा उपरत्न नीली धारण करने से भी शनि की अशुभता कम हो सकती है परन्तु कुंडली के उचित विशेषण के पश्चात ही इसे धारण करें।