पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर भले ही क्रिकेट को अलविदा कह चुके हों, लेकिन उनके फैंस अभी भी उनके दीवाने हैं. सचिन ने एक बार फिर लोगों का दिल जीता है. बतौर सांसद सचिन तेंदुलकर ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास ( एमपीलैड) कोष से जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के स्कूल की इमारत निर्माण के लिए 40 लाख रुपए दिये हैं.इस क्षेत्र के इकलौते स्कूल इंपीरियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट दुर्गमुल्ला का निर्माण 2007 में हुआ था. इसमें कक्षा एक से 10 तक लगभग 1000 छात्र पढ़ते हैं. राज्य सभा सदस्य सचिन तेंदुलकर के कोष से यहां 10 कक्षाओं, चार प्रयोगशाला, प्रशासनिक ब्लॉक, छह प्रसाधन और एक प्रार्थना हाल का निर्माण किया जाएगा.
इससे पहले तेंदुलकर ने दक्षिण मुंबई के एक स्कूल के उन्नयन और कक्षाओं के निर्माण के लिए कोष दिया था. एमपीलैड कोष से तेंदुलकर देश के विभिन्न हिस्सों में स्कूल और शैक्षिक संस्थानों से जुड़ी 20 परियोजनाओं में 7.4 करोड़ रुपये की राशि दे चुके हैं.
आपको बता दें कि सचिन तेंदुलकर बतौर राज्यसभा सांसद अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. उनके कार्यकाल को लेकर कई तरह के सवाल भी उठे. राज्यसभा में लगातार उनकी अनुपस्थिति को लेकर कई नेताओं ने सवाल दागे थे. हालांकि, सचिन ने कभी भी इन सवालों पर कोई टिप्पणी नहीं की. अभी हाल ही में जब सचिन राज्यसभा में अपना डेब्यू भाषण नहीं दे पाए. जब सचिन भाषण देने के लिए खड़े हुए तो विपक्ष का जोरदार हंगामा जारी रहा.
जहां तक संसद में सवाल पूछने का अधिकार है तो सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड रेखा से बहुत बेहतर है. रेखा के शून्य सवालों के जवाब में सचिन के रिकॉर्ड में 22 सवाल दर्ज हैं जिनका ब्यौरा राज्यसभा की वेबसाइट पर शामिल किया गया है. उनके सवाल रेलवे नेटवर्क के इलेक्ट्रिफिकेशन, न्यू एजुकेशन पॉलिसी में स्पोर्ट्स को बतौर विषय शामिल करना और रेलवे सुरक्षा जैसे विषयों पर केन्द्रित रहे.
सचिन के इन सवालों के जवाब में केन्द्र सरकार की तरफ से योगा और स्पोर्ट्स को स्कूल सब्जेक्ट बनाने और स्पोर्ट्स को कंपल्सरी सब्जेक्ट के उनके सवालों का जवाब भी दिया गया. सचिन के जिन सवालों के जवाब सरकार द्वारा दिए गए उन्हें सचिन ने दिसंबर 2015 में पूछे थे. संसद की तरफ से उन्हें भी इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़ी समिति का 2016 में सदस्य बनाया गया था हालांकि इस समिति में उनके योगदान का ब्यौरा संसद ने जारी नहीं किया है. वहीं उनके कार्यकाल के दौरान राज्यसभा में उनके नाम पर भी कभी कोई चर्चा नहीं की गई.