छत्तीसगढ़ में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। लेकिन, चुनाव से पहले टिकट को लेकर कांग्रेसी नेताओं में सिर फुटौव्वल की स्थिति पैदा हो गई है। एक-दूसरे की दावेदारी कमजोर करने के लिए हर हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। जो संभावित प्रत्याशी लग रहा है, उसे निपटाने के लिए दूसरे दावेदारों ने सिंडीकेट बना लिया है। दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस के दावेदारों ने एक आवेदन पत्र ब्लॉक अध्यक्षों को सौंपा था। इस पत्र में उनसे लिखवाया गया था ‘मैं पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हूं। पार्टी जिसे भी टिकट देगी, मैं ईमानदारी से उसके लिए काम करूंगा।’
टिकट के लिए दावेदार इस संकल्प को निभाने से पहले ही तोड़ने में लग गए हैं। टिकट के लिए मारामारी मची है। ऐसे में विधानसभा समन्वयकों के लिए एक नाम पर सहमति बनाना मुमकिन नहीं है, इसलिए उन्होंने अपनी रिपोर्ट पीसीसी अध्यक्ष व चुनाव समिति के अध्यक्ष भूपेश बघेल को सौंपनी शुरू कर दी है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का दावा था कि नए फॉर्मूले से बिना किसी विवाद के जिताऊ प्रत्याशी तय होगा। लेकिन, दूसरे चरण में ही बवाल मच गया। भूपेश बघेल ने विधानसभा समन्वयकों को अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है। समन्वयक इस कोशिश में लगे हैं कि वे सहमति बनाकर केवल एक-एक नाम ही सामने रखे। पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता किसी न किसी दावेदार के समर्थक हैं, इसलिए एक नाम पर सहमति ही नहीं बन पा रही। ऐसी स्थिति में समन्वयक बैठक में मौजूद समर्थकों के आधार पर दावेदारों की लोकप्रियता की रिपोर्ट तैयार करने में लग गए हैं।
महापौर उत्तर से दावेदार, दक्षिण से उछाला जा रहा नाम
महापौर प्रमोद दुबे ने उत्तर विधानसभा से दावेदारी की है, यहीं से चार पार्षद भी दावेदार हैं। दुबे ने पार्षदों को मनाने की कोशिश की, लेकिन एक ने भी उनका समर्थन नहीं किया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार अब एक खेमा दुबे को दक्षिण विधानसभा से चुनाव लड़ाने की मांग कर रहा है। रविवार को दक्षिण विधानसभा की बैठक में दुबे को चुनाव लड़ाने के लिए पर्चे फेंके गए। अब पता चला है कि कुछ दावेदार यह बयान जारी करने वाले हैं, दुबे दक्षिण से चुनाव लड़ेंगे तो वे अपनी दावेदारी वापस ले लेंगे। ये सब दुबे पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है।
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