नेपाल की राजधानी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में भारत और नेपाल के संस्कृत विद्वानों ने प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव दिया। इस दौरान साथ ही संस्कृत ग्रंथों विशेष रूप से हिमालयी राष्ट्र में संरक्षित पांडुलिपियों पर शोध करने और प्रकाशन की व्यवस्था करने के लिए अध्ययन केंद्र की स्थापना पर भी चर्चा की गई।
तीन दिवसीय सम्मेलन में प्रतिभागियों ने महर्षि संदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के सहयोग से नेपाल में गुरुकुलों के विकास के लिए सहायता प्रदान करने का संकल्प भी लिया। इस सम्मेलन का आयोजन नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली और इंडिया फाउंडेशन, दिल्ली के सहयोग से किया।
भारत-नेपाल में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देना उद्देश्य
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत और नेपाल में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देना था। सम्मेलन में अपनाए गए प्रस्तावों में से एक में उल्लेख किया गया कि नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान, नेपाल भारत-नेपाल अध्ययन केंद्र के प्रधान कार्यालय के रूप में काम करेगा। यह केंद्र भारत व नेपाल के संस्कृत ग्रंथों और नेपाल की संस्कृत पांडुलिपियों पर शोध करने और प्रकाशन करने की व्यवस्था करेगा।
नेपाल के पास पांच लाख संस्कृत पांडुलिपियां संरक्षित
माना जाता है कि नेपाल के पुरातत्व विभाग के पास तकरीबन पांच लाख संस्कृत पांडुलिपियां संरक्षित हैं। इस दौरान एक प्रस्ताव में नेपाल के छात्रों की संस्कृत सीखने की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का भी उल्लेख किया गया।