कानपुर देहात की स्पेशल जज डकैती कोर्ट ने दस्यु फूलन के खिलाफ विचाराधीन मुकदमा खत्म कर दिया है। डकैती का यह मुकदमा भोगनीपुर कोतवाली में दर्ज हुआ था, जिसमें फूलन और दस्यु विक्रम को आरोपित बनाया गया था। दस्यु विक्रम पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था और फूलन की बीस साल पहले दिल्ली में हत्या कर दी गई थी।
भोगनीपुर कोतवाली के किसुनपुर गांव में 41 साल पहले डकैती डाली गई थी। इस मामले में फूलन देवी के खिलाफ मुकदमा चल रहा था। यह मुकदमा 25 जुलाई 1980 को फूलन देवी, विक्रम मल्लाह और गिरोह के खिलाफ दर्ज हुआ था। स्पेशल जज डकैती कोर्ट ने मंगलवार को मुकदमा खत्म करने का आदेश दिया। बताते हैैं कि दस्यु से सांसद बनी फूलन देवी के मौत के सुबूतों का परीक्षण करने के बाद मु्कदमा खत्म करने का आदेश दिया गया।
दस्यु विक्रम 1980 में ही पुलिस से मुठभेड में मार दिया गया था। कोर्ट ने उसके खिलाफ केस को 1998 में खत्म कर दिया था। जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव पोरवाल ने बताया कि गुढ़ा के पुरवा के प्रधान का फूलन की मौत का प्रमाणपत्र व अन्य साक्ष्यों के परीक्षण के बाद अदालत ने मंगलवार को फूलन देवी पर चल रहा मुकदमा खत्म करने का आदेश दे दिया। मालूम हो कि फूलन देवी आत्मसमर्पण करने के बाद राजनीति में कदम रख दिया था और सांसद बन गई थीं। 25 जुलाई 2001 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 20 साल बाद उसकी मौत की पुष्टि हो सकी।
बेहमई कांड से चर्चा में आया था गिरोह
दस्यु फूलन का गिरोह बेहमई में सामूहिक नरसंहार के बाद चर्चा में आया था। फूलन के गिरोह ने बेहमई गांव में 26 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियां बरसाईं थीं। इसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी और बाकी को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था। इसके बाद से यमुना बीहड़ में डकैत गिरोह की सरदार फूलन ने अपना भय बना लिया था। बेहमई के नरसंहार में पति लाल सिंह की मौत होने पर शादी के चार दिन में ही 16 साल की मुन्नी विधवा हो गई थी। बेहमई नरसंहार में मुकदमा दर्ज हुआ, जिसमें राजाराम वादी बने थे। ग्रामीण आज भी कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद फूलन ने राजनीति में कदम रखा था। सपा की टिकट पर मिर्जापुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और फिर संसद पहुंच गई थीं।