जेवर में लूटपाट और कथित गैंगरेप की दिल दहलाने की वारदात के बाद आजतक की टीम ने नोएडा से लेकर जेवर टोल प्लाजा तक हाइवे पर सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया. इस पड़ताल के नतीजे ऐसे थे जो आपको सवाल पूछने पर मजबूर करेंगे कि आखिर कितना महफूज है इस हाइवे पर सफर.
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पीसीआर गश्त की खानापूर्ति 
आजतक की टीम ने रात करीब 12.45 बजे नोएडा से ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर 3 किलोमीटर का सफर तय किया. लेकिन एक भी पीसीआर वैन गश्त करती नजर नहीं आई. इससे आगे के 11 किलोमीटर के सफर के दौरान हर तरफ अंधेरा था, सड़क के दोनों ओर जंगल. लेकिन यहां भी कोई पीसीआर वैन नहीं दिखी. इसके बाद एक वैन नजर आई जो एक एक्सिडेंट की कॉल को अटेंड करने पहुंची थी ना कि हाइवे पर पेट्रोलिंग कर रही थी. करीब 1.20 बजे यमुना एक्सप्रेस-वे की ओर बढ़ने पर जीरो प्वाइंट पर एक पीसीआर वैन जरूर गश्त कर रही थी. बातचीत में एक पुलिसकर्मी ने बताया कि यहां पुलिस की करीब 8 गाड़ियां रोज पहरा देती हैं. आजतक की टीम को ऐसी पहली गाड़ी करीब 8 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद मिली.
काम नहीं आया आपातकालीन फोन
इसी पड़ताल में ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर सड़क के किनारे एक आपातकालीन टेलीफोन भी मिला. ये फोन इमरजेंसी की हालत में मदद तलब करने के लिए लगाए गए हैं. लेकिन फोन करने पर काफी देर तक किसी ने कॉल अटेंड नहीं की. काफी कोशिश करने के बाद फोन उठा लेकिन आवाज साफ ना होने के चलते बात नहीं हो पाई. हालांकि आपातकालीन फोन के साथ ही सीसीटीवी कैमरा भी लगा होता है जिसके जरिये निगरानी की जाती है. जेवर में घुसते ही आजतक की टीम को सीसीटीवी का बोर्ड नजर आया. इसकी मॉनिटरिंग जेवर टोल प्लाजा पर की जाती है.
स्ट्रीट लाइट्स की कमी 
जेवर की तरफ बढ़ते वक्त यमुना एक्सप्रेस पर घना अंधेरा था . सड़क पर स्ट्रीट लाइट नहीं थी. कार की हेडलाइट की रोशनी से ही कुछ नजर आता था. दोनो तरफ कोसों दूर सिर्फ जंगल थे औऱ उसके बाद कहीं इंसानी बस्ती. यमुना एक्सप्रेस के किनारे पर अगर कुछ था तो वो थे जंगल और झाड़ियां जिनमें छिपकर बदमाश वारदात को अंजाम देते हैं. औऱ फिर उसी जंगल में खो जाते हैं । एसे में हाइवे पर निकले से पहले एहतियात बरतने जरुरी हैं.
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