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कुमारस्वामी ने कहा, ‘कर्नाटक के लोगों ने चुनाव में मुझे और जदएस को खारिज कर दिया था। मैंने लोगों से पूर्ण बहुमत मांगा था। मैंने किसान नेताओं के बयान भी सुने थे। मैं यह भी जानता हूं कि उन्होंने मेरा कितना समर्थन किया था। अगर मुझे पूर्ण बहुमत मिलता तो मेरे ऊपर जनता के दबाव के अलावा किसी का जोर नहीं होता। आज मैं कांग्रेस की दया पर हूं।’
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मुख्यमंत्री ने कहा कि बतौर नेता उनकी कुछ मजबूरियां भी हैं। हालांकि, कृषि कर्ज माफी को लेकर उनकी सोच स्पष्ट है। भाजपा और किसान नेताओं को लताड़ते हुए कहा कि दबाव बनाने की जरूरत नहीं है। अगर वह कृषि कर्ज माफ नहीं करा पाए तो किसी को उनका इस्तीफा नहीं मांगना पड़ेगा। वह खुद ही पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि लोग एक सप्ताह इंतजार करें। अभी तो मंत्रिमंडल गठन भी नहीं हुआ है।
कुमारस्वामी ने किसानों से आत्महत्या जैसा घातक कदम नहीं उठाने की अपील की है। सरकार सहकारी समितियों ही नहीं सरकारी बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों को भी राहत दिलाने की दिशा में काम करेगी। दरअसल, कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता बीएस येदियुरप्पा ने चेतावनी दी थी कि अगर कृषि कर्ज माफ नहीं हुआ तो भाजपा 28 मई से राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ देगी। इस पर जदएस नेतृत्व ने कहा था कि उन्हें कोई भी फैसला लेने से पहले कांग्रेस की सहमति लेनी होगी।
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