उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 19 नवंबर 2016 को अपने आदेश में केदारनाथ आपदा में मारे गए लोगों के परिवार के नाबालिग बच्चों को बालिग होने तक 7500 रुपये प्रति माह देने, आपदा में मारे गए लोगों के शवों को खोजकर धार्मिक रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करने, प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा देने को कहा था।
उच्च न्यायालय ने शवों की खोजबीन के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में पांच सदस्यों की विशेष टीम बनाने और शव मिलने पर डीएनए की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया था।
आपदा के चार साल बाद भी 3200 लोग केदारघाटी में दफन हैं। पूर्व में भी न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया था कि सरकार केदारनाथ घाटी से शवों को निकाल कर उनका अंतिम संस्कार करवाए, लेकिन सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। अब भी केदारघाटी से शव निकल रहे हैं।
याची ने उच्च न्यायालय से प्रार्थना की थी कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और केदार घाटी से शवों को निकलवा कर उनका अंतिम संस्कार करवाए। गौरतलब है कि केदारनाथ में 2013 की आपदा के बाद मानव कंकाल मिलने का मामला खासा गरमाया था।
कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का लंबा दौर चला। इसी मामले में दायर एक जनहित याचिका के तहत न्यायालय ने 19 नवंबर 2016 को आदेश जारी कर सरकार को कई निर्देश दिए थे।