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केदारनाथ उपचुनाव: मिथक दोहराएगा या फिर टूट जाएगा…किसे मिलेगा तीन महीने की तैयारी

हॉट सीट बनी केदारनाथ विधानसभा में महिला प्रत्याशी की जीत का मिथक भाजपा दोहराएगी या फिर कांग्रेस इसे फिर तोड़ने में कामयाब रहेगी। पिछले करीब तीन महीने से उपचुनाव की तैयारी में जुटे सियासी दलों की तैयारियों और प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के लगातार 17 दिन तक किए धुआंधार प्रचार का फल किस दल की झोली में जाएगा, इसका खुलासा 23 नवंबर को मतगणना के बाद हो जाएगा। बहरहाल उपचुनाव में ताल ठोंक रहे छह प्रत्याशियों ने अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। हालांकि, मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही माना जा रहा है।

भाजपा के लिए विचारधारा और प्रतिष्ठा का सवाल
उपचुनाव सिर्फ एक विस सीट नहीं है। इस सीट पर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा नहीं विचारधारा भी दांव पर है। बदरीनाथ में हार के बाद उसे वैचारिक मोर्चे पर रक्षात्मक होना पड़ा था। पार्टी ऐसी असहज स्थिति दोबारा नहीं बनने देना चाहती, इसलिए पार्टी ने उपचुनाव का विधिवत एलान से तकरीबन तीन महीने पहले चुनावी प्रबंधन के रणनीतिकारों के मैदान में उतार दिया था। युवा मंत्री सौरभ बहुगुणा और प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी संग विधायक भरत चौधरी का वहां प्रचार थमने तक अधिकतम समय गुजरा है।

सीएम को भी पूरी ताकत झोंकनी पड़ी
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी उपचुनाव का रुख भाजपा के पक्ष में कराने को ताकत झोंकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। आपदा के प्रभावितों के लिए विशेष पैकेज से लेकर विस क्षेत्र के विकास से जुड़ी योजनाओं की स्वीकृति तक के निर्णय फटाफट लिए। चुनाव की घोषणा से पहले ही केदारनाथ की जनता के बीच बार-बार पहुंचे और प्रचार के आखिरी दिन भी उन्होंने डेरा जमाया।

भाजपा की ये ताकत और ये कमजोरी
उपचुनाव में भाजपा की ताकत का जिक्र करें तो प्रदेश और केंद्र में सरकार, केदारनाथ से सीधे पीएम मोदी का जुड़ाव, सीएम, मंत्री, विधायक और पार्टी पदाधिकारियों का प्रचार, महिला मतदाता बहुल सीट पर दो बार की विधायक रही महिला चेहरे आशा नौटियाल पर लगाया गया दांव, कराए गए विकास कार्य मजबूत पक्ष माने जा रहे हैं। भाजपा उम्मीद कर रही कि एक बार महिला प्रत्याशी पर लगाया गया दांव सही साबित होगा और महिला उम्मीदवार की जीत का मिथक दोहराएगा, जबकि नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास भाजपा का कमजोर पक्ष माना जा रहा।

कांग्रेस ने प्रचार में एकजुटता से किए वार
अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस उपचुनाव के प्रचार युद्ध में भाजपा पर पूरी एकजुटता संग वार-पलटवार करती नजर आई। अब उसे मनचाहे नतीजे का इंतजार है। बदरीनाथ व मंगलौर उपचुनाव में जीत का उत्साह केदारनाथ के प्रचार को प्रचंड बनाने में उसके खूब काम आया।

कांग्रेस की चाहत केदारनाथ में जीत के साथ 2027 के लिए एक बड़ा संदेश देने की भी है। लोस चुनाव में पांचों सीट हारने के बाद कांग्रेस के हौसले पस्त थे, लेकिन बदरीनाथ व मंगलौर विस उपचुनाव में जीत ने उम्मीदों से भर दिया। उसने मिशन केदारनाथ के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंकी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मोर्चा संभाला।

वहीं, पूर्व सीएम हरीश रावत भी प्रचार में चिरपरिचित अंदाज में दिखे। प्रचार के दौरान महिला मतदाताओं को साधने के लिए खेत खलियान में भी गए। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व अध्यक्ष एवं विधायक प्रीतम सिंह, चुनाव प्रभारी व विधायक विक्रम सिंह नेगी, पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत समेत सभी दिग्गजों ने प्रत्याशी मनोज रावत की जीत के लिए प्रचार किया।

केदारनाथ धाम, आपदा के मुद्दे को कांग्रेस मान रही ताकत
उपचुनाव में कांग्रेस की ताकत केदारनाथ धाम के नाम पर दिल्ली में प्रतीकात्मक मंदिर का निर्माण, धाम से सोना गायब होना, केदारघाटी में आपदा के मुद्दे को ताकत मान रही है। 2017 में केदारनाथ विस जीत कर मनोज रावत ने महिला उम्मीदवार जीतने का मिथक तोड़ा था। कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार भी मनोज रावत मिथक को तोड़ेंगे।

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