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ये फोटोज 2015 में एक यूट्यूब यूजर ने अपलोड की थी। लेकिन कुछ समय से ये सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं हैं। इन फोटोज को में कैलाश पर्वत पर दिखने वाली परछाई को अलग-अलग एंगल से दिखाया गया है, जिसमें भगवान शिव के चेहरे की आकृति बनती दिख रही है। यूट्यूब पर इसे जहां 11 हजार से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है, वहीं फेसबुक पर 2 हजार से ज्यादा बार लोग शेयर और लाइक कर चुके हैं।
बता दें कि इस तरह की आकृति बादलों के शेड और पहाड़ों के आकार-प्रकार के कारण बन जाया करती हैं। कभी-कभी आसमान में घुमड़ रहे बादलों में भी कुछ आकृतियां दिखाई देती हैं। अक्सर लोग इन फोटोज को संबंधित शेड का ज़िक्र करते हुए सोशल मीडिया पर शेयर कर देते हैं। धार्मिक शेड वाले पोस्ट अक्सर वायरल हो जाया करते हैं।
तिब्बतियों की मान्यता है कि वहां के एक संत कवि ने वर्षों गुफा में रहकर तपस्या की थीं। तिब्बति बोनपाओं अनुसार कैलाश में जो नौमंजिला स्वस्तिक देखते हैं व डेमचौक और दोरजे फांगमो का निवास है। बौद्ध भगवान बुद्ध तथा मणिद्मा का निवास मानते हैं।
कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। वह बुद्ध के इस रूप को ‘धर्मपाल’ की संज्ञा भी देते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का यह निर्वाण स्थल ‘अष्टपद’ है। कहते हैं ऋषभदेव ने आठ पग में कैलाश की यात्रा की थी।
हिन्दू धर्म के अनुयायियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत मेरू पर्वत है जो ब्राह्मंड की धूरी है और यह भगवान शंकर का प्रमुख निवास स्थान है। यहां देवी सती के शरीर का दांया हाथ गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है। यहां शक्तिपीठ है।
कहां है कैलाश पर्वत कैलाश पर्वत तिब्बत में हिमालय रेंज पर स्थित है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा रक्षातल झील हैं। यहां से ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलुज नदियां निकलती हैं। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि यहां भगवान शिव का वास है।