उत्तरी अफ़्रीका के देश ट्यूनीशिया को 2011 की अरब स्प्रिंग क्रांति का जन्मस्थान माना जाता है। इसने पूरे अरब राज्यों में लोकतंत्र की लहर फैलाई थी।
उत्तरी अफ्रीका के ट्यूनीशिया में राष्ट्रपति कैस सैयद ने एक बार फिर राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत हासिल की है। यह उनका दूसरा कार्यकाल होगा। ट्यूनीशिया के चुनाव के लिए स्वतंत्र उच्च प्राधिकरण (आईएसआईई) के प्रमुख ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सैयद ने 90.7 प्रतिशत वोट हासिल किए।
पूर्व में कानून के प्रोफेसर रहे सैयद ने इस मौके पर कहा कि 2019 में जब वह पहली बार राष्ट्रपति बने थे तब उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था। लेकिन उन्होंने भ्रष्टाचार को खत्म करने और समानता को बढ़ावा देने के वादे पर वह चुनाव जीता था। उन्होंने कहा कि उन्हें तब युवाओं का बड़ी संख्या में समर्थन मिला था।
आगे उन्होंने नई जीत के बारे में बात की। रविवार को एग्जिट पोल्स में जीत की भविष्यवाणी के बाद उन्होंने कहा कि यह ट्यूनिशिया में यह क्रांति की निरंतरता है। उन्होंने कहा कि वह वह भ्रष्ट अभिजात वर्ग और देशद्रोहियों से लड़ रहे है। उन्होंने कहा कि हम देश को भ्रष्टाचारियों, गद्दारों और साजिशकर्ताओं से मुक्त करेंगे और बनाएंगे।
2021 में सत्ता हथियाने की कोशिश
राष्ट्रपति को 2019 में लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया था, लेकिन उन्होंने 2021 में व्यापक रूप से सत्ता हथियाने की कोशिश की थी। राष्ट्रपति शासन बनाने के लिए 2022 में संविधान को फिर से लिखा गया था, जिसकी संसद के पास बेहद सीमित शक्तियां हैं।
संसद की थी भंग
साल 2021 की जुलाई में ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति ने देश के प्रधानमंत्री को बर्ख़ास्त कर दिया था और संसद भंग कर दी थी। ये सब इसलिए हुआ था क्योंकि ट्यूनीशिया में लोग कोरोना महामारी से निबटने में सरकार की नाकामी से ग़ुस्सा थे और पूरे देश में प्रदर्शन कर रहे थे। ये विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। ट्यूनीशिया के लगभग हर इलाके में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए थे और पुलिस के साथ उनकी हिंसक झड़प हुई थी।
गौरतलब है कि उत्तरी अफ़्रीका के देश ट्यूनीशिया को 2011 की अरब स्प्रिंग क्रांति का जन्मस्थान माना जाता है। इसने पूरे अरब राज्यों में लोकतंत्र की लहर फैलाई थी।
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