कोविड-19 महामारी के चलते विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में बिना परीक्षा के ही छात्र-छात्राओं को प्रमोट किया जा रहा है। वहीं, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा अनिवार्य कर दिया है। एडवाइजरी जारी कर कहा गया है कि एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे किसी भी लेवल (प्रथम से लेकर अंतिम वर्ष) के छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षा प्रमोट नहीं किया जाएगा।
एमसीआइ ने कहा है कि सरकार से चिकित्सा विश्वविद्यालय, चिकित्सकीय संस्थान और मेडिकल कॉलेजों को खोलने की अनुमति मिलने के दो माह के अंदर एमबीबीएस परीक्षा कराई जाएं। इनमें प्रत्येक छात्र-छात्राओं को अनिवार्य रूप से शामिल होना होगा। एमबीबीएस अंतिम वर्ष की सप्लीमेन्ट्री परीक्षा सबसे पहले कराई जाएगी।
प्रैक्टिकल, लैब व अन्य एमबीबीएस परीक्षाएं जरूरी
एमसीआइ के सेकेट्री जनरल डॉ. आरके वत्स की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार कॉलेज खुलने के दो माह के अंदर प्रैक्टिकल, लैब और अन्य एमबीबीएस कोर्स की परीक्षाएं करानी जरूरी होंगी। उसके एक माह बाद ही एमबीबीएस प्रथम वर्ष की परीक्षा कराई जाएं। वहीं, मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षकों का कहना है कि यह अच्छा फैसला है।
यहां मिली है छूट
एमसीआइ ने कुछ छूट भी दी है। यह छूट एक्सटर्नल के लिए परीक्षक की नियुक्ति और परीक्षा पैटर्न को लेकर है। मेडिकल पीजी अंतिम वर्ष यानी एमडी और एमएस परीक्षा की तर्ज पर ही एमबीबीएस परीक्षा भी कराई जाएंगी। अगर कोरोना के कारण एक्सटर्नल एग्जामिनर्स राज्य के बाहर से उपलब्ध न हों। ऐसे में उसी राज्य के दूसरे विश्वविद्यालय या मेडिकल कॉलेज से परीक्षक बुला सकते हैं। इन एक्सटर्नल को परीक्षा में शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा। यह संभव नहीं होने पर आधे परीक्षक परीक्षा की जगह पर उपस्थित होंगे और आधे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे।
परीक्षा के लिए बनाई कमेटी
परीक्षा के लिए कमेटी बनाई जाएगी। जो मेडिकल कॉलेज की स्थिति, कोरोना संक्रमण की स्थिति और विशेषज्ञ की राय लेकर रिपोर्ट देगी। इसके बाद ही परीक्षा की तिथियों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
- कॉलेज में अभी पीजी एग्जाम हो रहे हैं। एमबीबीएस परीक्षा को लेकर एमसीआइ का फैसला सही है। मेडिकल प्रोफेशन काफी संवेदनशील है, इसलिए बिना परीक्षा कराए प्रमोट करने का औचित्य ही नहीं है। एमसीआइ की एडवाइजरी के हिसाब से ही परीक्षाएं कराई जाएंगी।