कॉस्मेटिक सर्जरी के दौरान और बाद में कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे इसे किसी अनुभवी सर्जन से कराएं, ऑपरेशन थिएटर आधुनिक टूल्स से लैस हो, संक्रमण से बचाव आदि। जानें अलग-अलग सर्जरी से होने वाली दिक्कतें ताकि ट्रीटमेंट के बाद इनका खयाल रखा जा सके-
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हेयर रेस्टोरेशन (गंजापन)
गंजापन दूर करने के लिए तीन तरह की सर्जरी करते हैं। पहली, सिर में खाली जगह पर 3-4 मिमी बालों सहित स्किन निकालकर ट्रांसप्लांट करते हैं। दूसरी, सिर के दोनों ओर से बाल व त्वचा रक्तवाहिनी सहित सिर के आगे लाते है। तीसरी, सिलिकॉन बलून को बालों के नीचे लगाकर त्वचा डबल करते हैं।
साइड इफेक्ट : सर्जरी के बाद संक्रमण, निशान या अधिक ब्लीडिंग भी हो सकती है।
राइनोप्लास्टी (नोज जॉब)
मोटी नाक को पतला करने, टेड़ी नाक को सही आकार देने, दबी हुई नाक को शार्प करने के लिए राइनोप्लास्टी की जाती है।
साइड इफेक्ट : नाक की त्वचा पर लाल चकत्ते, सूजन व ब्लीडिंग हो सकती है। सर्जरी के बाद छह माह तक धूप से बचें।
आईब्रो लिफ्ट
यह सर्जरी दो तरह से होती है- बोटॉक्स (इंजेक्शन से) व थ्रेड लिफ्ट। इसमें एजिंग के कारण झुकी हुई आईब्रोज और माथे की लटकी त्वचा को ठीक किया जाता है।
साइड इफेक्ट : संक्रमण, निशान दिखने व संवेदनशीलता खत्म होने जैसी दिक्कतें होती हैं।
ब्लेफरोप्लास्टी
इस सर्जरी में झुकी हुई पलकों व पफी आंखों को ठीक किया जाता है। इस दौरान अपर और लोअर आईलिड से अतिरिक्त फैट व स्किन को निकालकर आंखों को सही लुक देते हैं।
साइड इफेक्ट : कुछ मामलों में लोअर आईलिड नीचे की ओर खिंच जाती है। जिसके लिए दोबारा सर्जरी करनी पड़ सकती है।
गाइनेकोमैस्टिया
कुछ आदमियों का सीना उभार लिए होता है। इस कारण वे हीनभावना के शिकार हो जाते हैं। ऐसे पुरुष इसे कम कराने के लिए गाइनेकोमैस्टिया कराते हंै।
साइड इफेक्ट : ब्लीडिंग, सूजन, निशान या स्किन पर लाल रंग के चकत्ते हो सकते हैं। स्किन का रंग बदलने के अलावा सीने की सेंसिविटी भी खत्म हो सकती है।
आर्म लिफ्ट
बेडौल हो चुके हाथों के ऊपरी भागों को सही आकार देने के लिए आर्म लिफ्ट सर्जरी कराई जाती है। इसमें हाथों के ऊपरी हिस्से में जमा फैट व लटकी हुई स्किन को हटाया जाता है।
साइड इफेक्ट : निशान इस सर्जरी का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट है। कोहनी से लेकर अंडरआर्म तक की इस सर्जरी में दाग हमेशा के लिए रह सकते हैं।
फेस लिफ्ट
इस सर्जरी से चेहरे की झुर्रियां और लटकी हुई स्किन को हटाकर चेहरे व गर्दन की मसल्स को मजबूती दी जाती है व एक्स्ट्रा स्किन को निकाल दिया जाता है।
साइड इफेक्ट : संक्रमण, त्वचा का रंग बदलना, चेहरे की धमनियों में क्षति, संवेदनशीलता खत्म होने के साथ त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते पड़ सकते हैं।
ऑटोप्लास्टी
ऑटोप्लास्टी में बड़े या बाहर निकले हुए कान को चेहरे के अनुरूप सही किया जाता है। कुछ लोग छिदे हुए कान के होल को छोटा करने के लिए भी यह सर्जरी करवाते हैं।
साइड इफेक्ट : संक्रमण, सूजन, ब्लीडिंग व निशान पडऩे का डर बना रहता है। कुछ मामलों में कान नेचुरल न दिखने पर दोबारा सर्जरी करानी पड़ सकती है।
चिन-चीक्स ऑग्युमेंटेशन
इस सर्जरी में छोटी ठुड्डी के ऊपर सिलिकॉन इंप्लांट करके इसको आकार देते हैं। कभी-कभी चिन की हड्डी को फेस के शेप के अनुसार घटाया-बढ़ाया जाता है।
साइड इफेक्ट : दर्द, सूजन व ब्लीडिंग के अलावा इम्प्लांट जगह से खिसक सकता है।
एब्डोमिनल प्लास्टी
प्रेग्नेंसी या वेट लॉस से कई बार पेट पर अधिक फैट जमा हो जाता है। जिसे निकालने के साथ मसल्स को भी टाइट कर बॉडी को सही आकार दिया जाता है।
साइड इफेक्ट : स्किन पर ब्लड क्लॉट व संक्रमण का डर रहता है।
ब्रेस्ट ऑग्युमेंटेशन
जन्म से अविकसित ब्रेस्ट, दोनों के साइज में अंतर होने व प्रेग्नेंसी के
बाद लटके ब्रेस्ट को सही आकार देने के लिए यह सर्जरी की जाती है। इससे ब्रेस्ट में सिलिकॉन इम्प्लांट्स कर आकार बढ़ाया जाता है।
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साइड इफेक्ट : अच्छी क्वालिटी के इम्प्लांट इस्तेमाल न किए जाने पर संक्रमण की स्थिति में इसे निकालना पड़ सकता है। निशान गहरा होने से ब्रेस्ट के हार्ड या टाइट होने जैसी समस्या हो सकती है।
– डॉ. सुनील चौधरी, डायरेक्टर ऑफ प्लास्टिक सर्जरी, मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली