कोरोना संकट के दौरान पिछले वर्ष घरेलू बचत में बड़ा उछाल देखा गया है। एक रिपोर्ट का कहना है कि पिछले वर्ष जब कोरोना की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन लगा था तब लोगों के सिर्फ जीवन की रक्षा नहीं हो रही थी, बल्कि उनकी बचत भी बढ़ रही थी।
ब्रोकरेज संस्था मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का कहना है कि पिछले कैलेंडर वर्ष यानी जनवरी-दिसंबर, 2020 में देश की घरेलू बचत बढ़कर 22.5 फीसद हो गई, जो वर्ष 2019 में 19.8 फीसद थी। मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि वैसे तो पिछले वर्ष अप्रैल-जून अवधि में भौतिक बचत गिरकर जीडीपी का 5.8 फीसद रह गई। लेकिन अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह कई वर्षो के उच्च स्तर के साथ 13.7 फीसद पर जा पहुंची।
दूसरी तरफ, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में देश की घरेलू गैर-वित्तीय बचत 21.4 फीसद रही। यह जुलाई-सितंबर तिमाही में गिरकर 10.4 फीसद और अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 8.4 फीसद रह गई। कोरोना से पहले की अवधि में यह सात-आठ फीसद रहा करती थी।
आरबीआइ के आंकड़ों में यह भी कहा गया कि पिछले वर्ष अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सकल वित्तीय बचत जीडीपी का 13.2 फीसद हिस्सा थी। इसी अवधि में सकल घरेलू वित्तीय देनदारी जीडीपी के 4.8 फीसद के बराबर पहुंच गई। पिछले पूरे दशक के दौरान देश की सकल वित्तीय बचत 10-12 फीसद रही थी। लिहाजा, पिछले वर्ष दिसंबर तिमाही का इसका 13.2 फीसद का आंकड़ा पूरे दशक के मुकाबले अधिक रहा।
उल्लेखनीय है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में घरेलू बचत का पैमाना घरेलू आय और खपत में अंतर को माना जाता है। लेकिन भारत में इसके आकलन का तरीका परोक्ष है, जिसमें कई अन्य चीजें भी शामिल की जाती रही हैं।
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