चीन से मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट जैसी डिवाइस के मदर बोर्ड यानी प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली (PCBA)को दुनियाभर में भेजा जाता है। लेकिन भारत में इस मामले में चीन और वियतनाम जैसे देशों को टक्कर देने की तैयारी में है। मोबाइल डिवाइस उद्योग संगठन इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) और EY की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार भारत 2021-26 तक करीब आठ लाख करोड़ रुपये के मदरबोर्ड का निर्यात कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक IT हार्डवेयर यानी लैपटॉप और टैबलेट की मैन्युफैक्चरिंग से 7 लाख करोड़ रुपये और PCBA की मैन्युफैक्चरिंग से 8 लाख करोड़ का कारोबार हो सकता है।

क्या होता है मदर बोर्ड
साधारण, शब्दों में कहें, तो मदरबोर्ड किसी भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस का सबसे जरूरी हिस्सा होता है। दुनियाभर के कई देश इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग करते हैं। लेकिन मदरबोर्ड की सप्लाई दूसरे देशों से करते हैं। अभी तक ज्यादातर देश चीन और वियतनाम से मदरबोर्ड मंगाते थे। वहीं अगर भारत की बात करें, तो मौजूदा वक्त में भारत मदरबोर्ड बनाता है और कुछ देशों को इसकी सप्लाई करता है। भारत में मोबाइल डिवाइस में मदरबोर्ड का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। भारत मदर बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019-20 में मोबाइल फोन के लिए 1,100 करोड़ रुपये के PCBA का एक्सपोर्ट हुआ था और 2020-21 में 2,200 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स के लिए स्टैंडअलोन PCBA का एक्सपोर्ट 2022-23 से ही शुरू हो सकता है।
जरूरी होगा सरकारी समर्थन
चीन, वियतनाम जैसे एशियाई देशों के मुकाबले कॉम्पिटिशन में लाने के लिए सरकार को लागत के मोर्चे पर आने वाली दिक्कतों को दूर करना होगा। मतलब सरकार को कुछ सब्सिडी देनी होगी। बिना सब्सिडी के भारत मदरबोर्ड एक्सपोर्ट के अपने लक्ष्य को नही कर पाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक अगर पीसीबीए के निर्यात पर चार से छह प्रतिशत का समर्थन दिया जाये तो भारत का कुल पीसीबीए निर्यात करीब आठ लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच सकता है। मौजूदा वक्त में भारत के PCBA उद्योग का आकार करीब दो लाख करोड़ रुपये का है।
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