NEW DELHI: खुशकिस्मत होता है वो इंसान जो देश के लिए शहीद होता है और धन्य है ऐसे मां बाप जो ऐसे वीर को जन्म देते हैं। दुश्मन भले ही छिप कर वार करे लेकिन हमारे वीर जवानों ने कभी पीठ नहीं दिखाई। सीने पर गोली मारी या फिर सीने पर गोली खाई।

छत्तीसगढ के सुकमा में सीआरपीएफ जवानों पर नक्सलियों के हमले में नीमकाथाना के हैड कांस्टेबल बन्नाराम और गंगानगर में पदमपुरा के रामेश्वरलाल शहीद हो गए। दोनों के गांवों में इस समय अंतिम संस्कार किया जा रहा है। दोनों गांवों में हजारों लोग शहीदों को श्रृद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे हुए हैं। इस दुख भरे समय में भी शहीद की पत्नी ने कहा कि वह अपने बेटे को भी देश की सेवा के लिए सेना में भेजेगी।
 
शहीदों की पत्नियों सहित पूरे परिवार और गांव व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में दोनों शहीदों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। दोनों शहीदों की पार्थिव देह सेना के विमान से जयपुर एयरपोर्ट लाए गए थे, जहां से दोनों के पैतृक गांव पहुंचाए गए। यहां सीआरपीएफ के जवानों ने दोनों शहीदों को सलामी दी और पुष्प अर्पित कर श्रृद्धांजलि अर्पित की। अंतिम विदाई के मौके पर पूरा गांव गमगीन है।

सीकर के नीमकाथाना के गोरधनपुरा गांव में शहीद बन्नाराम का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। अंतिम संस्कार से पहले जैसे ही शहीद के शव को अंतिम रस्म पूरा करने के लिए घर की चार दीवारी में प्रवेश कराया गया, माहौल गमगीन हो गया। शहीद की वीरांगना का रो-रोकर बुरा हाल था। लोग संभाल रहे थे, लेकिन वह जैसे अपने आपे में नहीं थी। इस गम के बावजूद वीरांगना ने बेटे को भी सेना में भेजने का प्रण जताया। रोते हुए छाती ठोक कर बोली, पति ने देश के लिए बलिदान दिया है, बेटे को तैयार कर रही हूं।
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शहीद बन्नाराम के परिवार में पत्नी सुमित्रा के अलावा एक बेटा व एक बेटी है। बेटी की दो साल पहले शादी की थी। वहीं बेटा बारहवीं मे पढ़ रहा है। दूसरी ओर गंगानगर के रामेश्वर लाल के अंतिम संस्कार की भी तैयारी की जा रही है। पूरा गांव गम में डूबा है। आसपास के गांव भी खाली होकर रामेश्वरलाल के गांव में पहुंच गए हैं और अपने जवान को अंतिम विदा के लिए सलामी दे रहे हैं।
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