सदी के सबसे बड़े चंद्रग्रहण के साथ ही गुरु पूर्णिमा का आगमान हो रहा है. शास्त्रों के मुताबिक़ दोपहर से पहले गुरु पूजन का समय शुभ बताया गया है. हजारों सालों से चली आ रही इस परंपरा के साथ इस बार भी गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पादुका पूजन करें. गुरु पूर्णिमा गुरु और शिष्य के बीच का गहरा संबंध बताती है. इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति मान-सम्मान व्यक्त करते हैं.
आज हम आपको बताएँगे ऐसे गुरुओं के बारे में जिनकी महिमा का गुणगान जितना किया जाए उतना कम है. बता दें कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है, इस महीने यह 27 जुलाई को मनाई जाएगी.
बृहस्पति :
बृहस्पति को देवों का देव कहा जाता है यही नहीं बल्कि इन्हे सबसे ज्यादा ज्ञान की प्राप्ति है, बृहस्पति अपने ज्ञान से देवताओं को असुरों को हराने का ज्ञान देते हैं. इसके अलावा बताया जा रहा है कि बृहस्पति ही हैं जो अपने रक्षोघ्र मंत्रो से देवताओं की रक्षा करते हैं.
महर्षि वेदव्यास :
महर्षि वेदव्यास को भगवान विष्णु का ही रूप माना गया हैं. महाभारत ग्रंथ की रचना भी महर्षि वेदव्यास ने ही की है. इनका पूरा नाम कृष्णद्वैपायन हैं.
द्रोणाचार्य :
कौरवों और पांडवों को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान देने वाले एक मात्र द्रोणाचार्य ही थे इन्होंने ने ही अपनी शिक्षा के माध्यम से कौरवों और पांडवों अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया था. अगर इनके सबसे प्रिय कोई शिष्य थे तो वह अर्जुन थे. एकलव्य से इन्होंने गुरु दक्षिणा में अंगूठा ले लिया था.
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