इंटरनेट डिलीवरी टेक्नोलॉजी में पिछले 30 सालों में काफी ग्रोथ हुई है। इसकी शुरुआत डायल-अप कनेक्शन से हुई थी, जो अब फाइबर टु द होम (एफटीटीएच) बेस्ड वाई-फाई तक पहुंच चुकी हैं। इस सेक्टर में इनोवेटिव और नये हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के चलते डेटा अब डेटा की स्पीड काफी बढ़ गई है।एक्सिटेल के सीईओ और सह-संस्थापक विवेक रैना के मुताबिक 2000 की शुरुआत में कॉपर बेस्ड फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के आइडिया ने देश में जड़ें जमाना शुरू किया था।
हालांकि, यह प्रसार तांबे (कॉपर) की काफी सीमित था, जिसके चलते इंटरनेट की रफ्तार धीमी रही। साल 2017 में इंटरनेट प्रोवाइडर सर्विस कंपनियों की ओर से बड़े पैमाने पर फाइबर ब्रॉडबैंड (एफटीटीएच) के आइडिया को पेशकश किया गया। इसमें डेटा ट्रांसफर काफी तेज गति से हुआ। साथ ही फाइबर ऑप्टिक्स ने डेटा ट्रांसफर के मामले में काफी प्रगति की।
फाइबर ब्रॉडबैंड के फायदे
कॉपर की तुलना में 100Mbps से ज्यादा इंटरनेट स्पीड के लिए ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल करना बेहतर होता है।फाइबर फ्यूचर प्रूफ मीडियम है। इसमें सिग्नल का ट्रांसमिशन प्रकाश के माध्यम से होता है, न कि बिजली से जो माध्यम की विश्वसनीयता के अधिकांश मुद्दों को समाप्त कर देता है। साथ ही फाइबर ब्रॉडबैंड डेटा ट्रांसफर के दौरान होने वाली देरी या लेटेंसी को कम करता है। क्योंकि यह तेज है और ज्यादा साफ ट्रांसमिशन की अनुमति भी देता है।
भारत सरकार ने 2019 में देश में 250,000 ग्राम पंचायतों में फाइबर बिछाने और इसके माध्यम से लगभग 600,000 गांवों को जोड़ने की घोषणा की थी। फाइबर ब्रॉडबैंड में सरकार की बढ़ती रुचि और कनेक्शंस के कई फायदे के साथ अब यह समय है कि भारत एक देश के रूप में फाइबर ब्रॉडबैंड अपनाने के लिए तैयार है।