लामबगड़ में रविवार को दोपहर बाद बंद हुआ बदरीनाथ हाईवे मंगलवार को तीसरे दिन भी बंद पड़ा है। लामबगड़ में लगातार मलबा आने के कारण हाईवे सुचारु नहीं हो पा रहा है। एक और कटी गई चोटी, लेकिन इस बार दिख गया चोटी काटने वाली चुड़ैल का चेहरा…
इस कारण बदरीनाथ धाम में करीब 200 यात्री फंसे हुए हैं। बदरीनाथ में बारिश होने के चलते हाईवे सुचारु करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लगातार बारिश होने के चलते लामबगड़ में मंगलवार को भी मार्ग खुलने की संभावना कम दिखाई दे रही है।
वहीं धाम में की घाटी और चोटियों में घना कोहरा छाया हुआ है। हाईवे बंद होने से यात्री नहीं आ पा रहे हैं, जिस कारण धाम में सन्नाटा पसरा हुआ है।
रविवार दोपहर दो बजे से बंद पड़ा है हाईवे
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रविवार को दोपहर बाद दो बजे मलबा आने से बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ में बंद हो गया था। यहां रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण सोमवार को भी हाईवे वाहनों की आवाजाही के लिए नहीं खुल पाया। पुलिस प्रशासन ने पैदल मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्थाओं को देखते हुए एसडीआरएफ और पुलिस के जवानों की तैनाती की है।
एसडीएम योगेंद्र सिंह का कहना है कि बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ में रुक-रुक कर हो रही बारिश से हाईवे सुचारु करने का कार्य बाधित हो रहा है। मौसम साफ होते ही हाईवे सुचारु कर दिया जाएगा।
इसके चलते आए दिन कई स्थानों पर यातायात अवरुद्ध हो जाता है। यहां सड़क के ऊपर-नीचे दोनों ओर भूस्खलन होने से सड़क संकरी हो गई है। भू-विज्ञानियों का कहना है कि इन स्थानों पर कोई भी काम कराने से पहले विशेषज्ञों की राय जरूर ली जानी चाहिए।
बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर कौड़ियाला, निरगड्डू, मरीन ड्राइव, सकनीधार, मूल्यागांव, धर्मपुर, सौड़पानी, महादेव चट्टी, तोताघाटी और पाली पुलिया समेत कुछ अन्य स्थानों में भूस्खलन की समस्या बनी हुई है। मूल्यागांव का लगभग 100 मीटर पैच सबसे अधिक संवेदनशील बना हुआ है। यहां सड़क के ऊपर और नीचे दोनों ओर भूस्खलन हो रहा है। मलबा आने से यहां पर सड़क बाधित हो जाती है। पूर्व में कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं।
केंद्रीय गढ़वाल विवि के भू-विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डा. एमपीएस बिष्ट कहते हैं कि राजमार्ग की पहाड़ियां संवेदनशील बनी हुई हैं। सड़क बनाने के लिए जब कटिंग की जाती है तो ढाल लगभग 90 डिग्री हो जाता है, जिससे ऊपर की ओर से दबाव बनता रहता है।
हल्का सा डिस्टर्बेंस होने पर चट्टान खिसक जाती हैं। इन स्थानों पर कटिंग के साथ ही तत्काल ट्रीटमेंट वर्क होना चाहिए। कार्यदायी संस्था को किसी भी प्रकार का काम कराने से पहले भूविज्ञानियों की राय लेनी चाहिए। अनियोजित ढंग से मशीन से कटिंग कर नुकसान ज्यादा होगा।