सीआईआईएस जर्नल में छपे लेख के मुताबिक, मोदी के तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान भारत एवं चीन के संबंधों में ‘सधी हुई मजबूती’ आई है। भारत में राजनयिक के तौर पर भी काम कर चुके रोंग यिंग ने लेख के जरिए कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के विकास के लिए रणनीतिक सहयोग में सहमति बनानी चाहिए। लेख में कहा गया है कि चीन और भारत के बीच सहयोग व प्रतिस्पर्धा दोनों की स्थितियां हैं। भविष्य में प्रतिस्पर्धा और सह-अस्तित्व ही नियम बनेगा। यही भारत और चीन के बीच के संबंधों की हकीकत है, जो कभी नहीं बदलेगा। चीन के लिए भारत काफी महत्वपूर्ण पड़ोसी और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार के लिए अहम साझेदार है।
बातचीत के जरिए निकालेंगे हल
पड़ोसी देशों के साथ जारी सीमा विवादों के बीच चीन ने कहा है कि वह क्षेत्रीय और दूसरे ज्वलंत मसलों को सुलझाने में सकारात्मक भूमिका निभाएगा और विवादों का बातचीत के जरिए समाधान निकालेगा।
बीजिंग स्थित राजनयिकों के लिए मंगलवार को आयोजित नए साल के भोज केे दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन पड़ोसी एवं विकासशील देशों के साथ मित्रता और सहयोग को लेकर प्रतिबद्ध है। चीन क्षेत्रीय एवं ज्वलंत मसलों को सुलझाने में रचनात्मक भूमिका निभाता रहेगा। वह बातचीत व परामर्श के जरिए विवादों और मतभेदों को हल करने को प्रोत्साहित करेगा।
चीनी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि साल 2018 में भी चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा। बता दें कि चीन के विदेश मंत्री का यह बयान दक्षिण चीन सागर में पड़ोसी देशों के साथ चल रहे विवादों के मद्देनजर आया है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता ठोकता आया है। यहां तक कि वह अपनी जमीन से करीब 800 मील दूर मौजूद द्वीपों पर भी अपना हक जताता है। हालांकि फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और वियतनाम जैसे देश चीन के इन दावों से आपत्ति जताते रहे हैं।
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