नई दिल्ली। एक बार फिर आशंका जताई गई है कि व्हाट्सऐप पर शेयर किये जाने वाले मैसेजेस को चोरी-छुपे पढ़ा जा रहा है और इसके जरिए यूजर्स की पर नजर रखी जा रही है। हालांकि फेसबुक ने इससे साफ इनकार किया है। मालूम हो, फेसबुक ने फरवरी 2014 में व्हाट्सऐप का अधिग्रहण कर लिया था।
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फेसबुक को यह सफाई उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद देना पड़ी है, जिसमें कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने व्हाट्सऐप में एक ‘बैकडोर’ खोज निकाला है जिसका फेसबुक व अन्य द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी ऐप पर शेयर किए गए मैसेजेस को वे पढ़ सकते हैं।
प्रायवेसी के हक में आवाज उठाने वालों ने इस खुलासे पर चिंता व्यक्त की है और चेतावनी दी है कि ‘इसे सरकारी एजेंसियों द्वारा यूजर्स की जासूसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।’
द गार्जियन के मुताबिक, यह ‘बैकडोर’ खोजने वाले सिक्योरिटी रिसर्चर टोबियास बोएल्टर ने दावा किया है कि उन्होंने फेसबुक को पिछले साल पहले ही बैकडोर के जोखिम के बारे में चेतावनी दी थी लेकिन कंपनी ने जवाब दिया था कि वह इसे ठीक करने के लिए काम कर रही है।
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यह है कंपनी की सफाई
- कंपनी ने अपने बयान में कहा ‘व्हाट्सएेप सरकारों को सिस्टम्स में कोई ‘बैकडोर’ नहीं देता है और किसी भी सरकार से लड़ने के लिए तैयार है जो कि बैकडोर बनाने का अनुरोध करेगी।
- पिछले साल व्हाट्सऐप ने सभी संचार के लिए एन्क्रिप्शन दिया था। एन्क्रिप्शन फीचर यूनिक सिक्योरिटी कीज पर काम करता है जो कि ओपन व्हीस्पर सिस्टम द्वारा विकसित सिग्नल प्रोटोकाल के उपयोग के साथ जनरेट होती है।
- ये कीज व्हाट्स ऐप यूजर्स के बीच यह सुनिश्चित करने के लिए एक्सचेंज और वैरिफाई होती है कि उनका संवाद सुरक्षित है और इसे हैक नहीं किया जा सकता है।
- हालांकि व्हाट्सऐप के पास अपने ऑफलाइन यूजर्स के लिए री-एन्क्रिप्ट की क्षमता है, इस तरह यह ऐप यूजर्स के मैसेज की जासूसी करने की अनुमति देता है। इसे टोबियास बोएल्टर ने ढूंढा।
- इस ऐप को अपनी गोपनीयता के लिए सराहना की गई थी लेकिन एक ही समय में पिछले साल इसने एक्टिविस्ट्स और यूजर्स के बीच यह घोषणा करते हुए हंगामा खड़ा कर दिया था कि वे कुछ यूजर्स के डाटा फेसबुक से शेयर करेंगे।