20 सितंबर बुधवार को जंतर मंतर में एक देश एक शिक्षा को लेकर समान शिक्षा संघर्ष मोर्चा द्वारा एक दिवसीय प्रदर्शन किया। देश में दो तरह की शिक्षा व्यवस्था क्यों सरकारी स्कूलों में सिर्फ किसान मजदूर रिक्शा चालक, ठेला चालक और फुटपाथ पर रहने वाले का बच्चा पढ़ेगा और प्राइवेट स्कूलों में नेता अधिकारी अमीर का बच्चा पढ़ेगा ऐसा क्यों? पर सवाल उठाया गया।
जिस तरह से स्कूली शिक्षा में गिरावट रही है, वह चिंताजनक है। सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को मिले, इस पर सोचने की जरूरत है। हमने सरकारी स्कूलों को खराब कर प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दिया है। आज स्थिति यह है कि, सुविधा संपन्न वर्ग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजते, इससे दो तरह की शिक्षा दी जा रही है। हमें तुरंत देश में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की जरूरत है। यह बातें बुधवार को शिक्षा पर कार्य कर रहे राधेश्याम यादव ने दिल्ली में कही।
असल में समान शिक्षा के अधिकार का सफर एवं गुणात्मक शिक्षा की चुनौतियां पर आयोजित इस प्रदर्शन में आज शिक्षा की बदहाली पर प्रकाश डाला। यादव ने कहा कि सरकारी वेतनभोगियों के बच्चे जब तक सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे तब तक एक समान शिक्षा मिली ही नही सकती। यह इसलिए अब तक संभव नहीं हो पाया है कि हम सिविल सोसाइटी के लोग और इसके लिए जिम्मेवार पदों पर बैठे लोग अपनी जिम्मेवारियों को नहीं समझ पाए हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की लापरवाही के कारण सरकारी शिक्षा प्रणाली दो वर्गों में बंटी नजर आती है। इस मौके पर महाराष्ट्र से सद्दाम, समान शिक्षा संघर्ष मोर्चा के विभिन्न जिलों से आए अभियान के कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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