कश्मीर में आतंकी संगठनों के बीच हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के इनकाउंटर की बरसी को भुनाने की होड़ लगी है. आपस में इन लोगों के बीच ऐसी खींचातनी मची की हर एक अपने आप को कश्मीर के लोगों का हितैषी बताने में लगा है. ऐसा ही एक चेहरा है जाकिर मूसा, जो खुद को कश्मीर का पोस्टर ब्वॉय मानता है. बुरहान के बाद मूसा हिजबुल मुजाहिद्दीन का एक साल तक कमांडर था. मगर हाल ही में आतंकियों का आका बनने के लिए उसने दहशत का अलग रास्ता चुन लिया.
8 जुलाई को उसने रिक्रूटमेंट ड्राइव के नाम पर युवाओं को उसके संगठन से जुड़ने का न्योता दिया है. हालांकि अभी उसने 15 लोगों को भर्ती किया है पर 8 को वो अभियान बड़े पैमाने पर लांच करना चाहता है. कश्मीर में खलिफत की दुहाई देते हुए मूसा सोशल मीडिया पर खूब वीडियो और ऑडियो प्रचारित कर रहा है. इसके साथ ही उसने पोस्टर भी छपवाए हैं. अपनी इस लड़ाई को धर्म से जोड़ कर मूसा को लगता है कि वह जल्दी और ज्यादा कामयाबी पा लेगा. इसलिए उसने अपने इस पूरे अभियान को शरीयत-ए-शहादत यानी कि शरीयत के लिए शहादत का नाम दिया है.
दरअसल उसका संगठन सिर्फ डेढ़ महीने पुराना है, मगर तेजी से बढ़ रहा है. इसके पीछे एक बड़ी वजह है कि मूसा खुद एक साल तक हिजबुल का कमांडर रहा है. उसको कश्मीर के सभी इलाकों की अच्छी जानकारी है और बुरहान वानी की तरह वह भी युवा है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक डेढ़ महीने में लश्कर में 15, जाकिर मूसा के संगठन में 15 लोग और हिजहबुल में 30 लोग शामिल हुए हैं.
अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए मूसा की नजर दक्षिणी कश्मीर के इलाकों पर है. बुरहान वानी फैक्टर इस्तेमाल करके जाकिर मूसा को लगता है कि वह त्राल, अवंतीपुरा, पुलवामा, पदगामपुरा और श्रीनगर के युवाओं को खुद से जोड़ सकता है. उसको ये भी मालूम है कि कश्मीरी लोगों की सहानुभूति लेकर उनका विश्वास जीतने का भी यह बेहद अहम मौका है.