हिंदू पंचाग के अनुसार संकष्टी चतुर्थी इस साल 18 मई यानी कि बुधवार की रात 11 बजकर 36 मिनट पर शुरु होगी। जी हाँ और इस तिथि का समापन 19 मई को रात 8 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में उदायतिथि के अनुसार 19 मई को चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। आप सभी को बता दें कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है। जी हाँ और इस दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। कहा जाता है इस दिन सच्चे मन से गणेश जी की पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि, बुद्धि, ज्ञान, ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है। अब आज हम आपको बताते हैं कि इस दिन आप गणेश जी को क्या अर्पित किया जा सकता है।

चंद्रोदय समय- संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन का विशेष महत्व होता है। ऐसे में इस दिन रात को चंद्रमा उदय 10 बजकर 56 मिनट पर होगा। ध्यान रहे इस दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वाले चंद्र देव को जल अर्पित करके ही पारण (ekdant chaturthi shubh muhurat 2022) करें।
मोदक-दूर्वा अर्पित करें- ऐसी मान्यता है कि अगर आप इस दिन गणपति जी से कोई खास मनोकामना करते हैं। तो, संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के दौरान उन्हें दूर्वा घास मस्तक पर अर्पित करें। ध्यान रहे ऐसा करते समय दूर्वा की 21 गांठें इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः मंत्र के उच्चारण के साथ उनके सिर पर अर्पित करें। इसी के साथ ही, पूजा के बाद उन्हें मोदक का भोग लगाएं। वैसे आप चाहें तो उन्हें लड्डू भी अर्पित कर सकते हैं। जी दरअसल दूर्वा मोदक दोनों की गणेश जी को बेहद प्रिय होती हैं और उन्हें ये अर्पित की जाए तो गणपति जी भक्तों की सभी इच्छा पूरी करते हैं।
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