‘बेटी का पहला और सच्चा प्यार उसके पापा होते हैं।’ लेखिका मैरिसॉल सेंटिगो की यह बात ज्यादातर बेटियों पर फिट बैठती है। बेटी के लिये उसके पापा सुपरमैन होते हैं जो उसकी हर परेशानी पलक झपकते ही दूर करने की हिम्मत रखते हैं। जबकि पापा के लिये उनकी बेटियां किसी परी या राजकुमारी से कम नहीं होती हैं।जानिए: रोज़ाना थोड़े से काजू खाने से होते हैं ये चमत्कारी फायदें…
आइए लड़कियों की ऐसी ही कुछ फीलिंग्स के जरिए जानते हैं आखिर क्यों उनके लिए सुपरडैड होते है उसके पापा।
रामपुर की मीरा कहती हैं कि पहली बार मेरे आत्मविश्वास को पापा ने कुछ यूं बढ़ाया था, जब उन्होंने पहली बार मेरे हाथ की बनी कच्ची पक्की पहली रोटी को चटकारे ले-लेकर खाया था।’
वहीं दिल्ली की सुरभि का कहना है कि जब पहली बार मेरा प्रेम पत्र मां के हाथ लगा था। आग बबूला हुई मां को पापा ने ये कहकर शांत कराया था, मैं जानता हूं मेरी बेटी मेरा विश्वास कभी नहीं तोड़ेगी। फिर मेरी तरफ मुंह करके भरोसा दिलाया था, अगर कोई है जो तुम्हें पसंद है तो तुम मुझे बता सकती हो।’
गाजियाबाद की रहने वाली सपना कहती हैं कि मां के लाख मना करने पर हजार तर्क देकर मेरे लिये पापा जब आपने स्कूटी लाकर कहा था, अब मेरी परी चलेगी नहीं अपने परों से उडेगी। मैं जानती हूं, पापा उस वक्त आपने अपने कई खर्चे रोककर मेरी यह मांग पूरी की थी।’
कानपुर की सोनम बताती हैं कि विदाई के वक्त पापा आपने डबडबाई आंखों से और आत्मविश्वास भरी आवाज से मुझसे कहा था, बेटा ये घर तुम्हारा था और हमेशा तुम्हारा ही रहेगा।’
वाकई बेटियां पापा के सबसे करीब होती हैं क्योंकि पापा के हौंसलों के पर लगाकर बेटियां उड़ान भरती हैं।