भारतीय क्रिकेट के इतिहास में बहुत कुछ हुआ है. लेकिन ये तो पहली बार हुआ कि आधी टीम को एकसाथ बैन कर दिया गया. और वो भी दिग्गज क्रिकेटरों को. लेकिन इसके बाद इन क्रिकेटरों ने जो किया उससे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को खुद बोल्ड हो गया. यानि मान लीजिए कि अपमान का जो घूंट बीसीसीआई ने उस दिन पीया, वो शायद उसके साथ दोबारा नहीं हुआ होगा.
ये 1989 का साल था. दिलीप वेंगसरकर की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी. टीम वहां बुरी तरह हारी. टीम को लौटकर भारत आना था लेकिन बजाए इसके टीम के कुछ खिलाड़ी प्रदर्शन मैच खेलने अमेरिका और कनाडा चले गए. खिलाड़ियों के इस कदम ने बोर्ड अधिकारी सकते में आ गए. तुरत फुरत बोर्ड की मीटिंग बुलाई गई. बोर्ड के मना करने के बाद खिलाड़ी मनमानी करते हुए जिस तरह कनाडा और अमेरिका गए थे, उस पर बोर्ड के अधिकारियों को लगा कि इस पर अगर कड़ा फैसला नहीं लिया गया तो भविष्य में लगातार ऐसी हरकतें होने लगेंगी.
बीसीसीआई की नजर में ये अनुशासनहीनता का मामला था. बोर्ड ने उन्हें ऐसी कड़ी सजा देने का फैसला किया, जो मिसाल बन जाए. छह सीनियर क्रिकेटरों को एक साल के खिलाफ एक साल के लिए बैन लगा दिया गया. बैन किए क्रिकेटरों में कप्तान दिलीप वेंगसरकर, कपिलदेव, मोहम्मद अजहरुद्दीन, किरण मोरे, रवि शास्त्री और अरुण लाल शामिल थे.
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