शारदीय नवरात्र इस बार 21 सितंबर से शुरू हो रहा है. नवरात्र के नौ दिन में मां अपने भक्तों पर दिल खोलकर आर्शीवाद बरसाती हैं. नवरात्र के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है.जानिए कैसे विश्वकर्मा ने भगवान शिव के त्रिशूल से लेकर सोने की लंका का किया था निर्माण
शुभ मुहूर्त
21 सितंबर को मां के शैलपुत्री रूप की पूजा होगी. 21 को सुबह 6:03 बजे से 8:22 बजे तक का समय शुभ है पूजा करने के लिए.
कलश स्थापना
अगर आप घर में कलश स्थापना कर रहे हैं तो सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं. फिर कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें. कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र और पंचरत्न व सिक्का डालें. इसमें अक्षत भी डालें.
अखंड जोत
ऐसी मान्यता है कि जिन घरों में नवरात्र के दौरान अखंड दीप जलाया जाता है, उन पर मां का विशेष आर्शीवाद होता है. लेकिन ध्यान रहे कि अखंड दीप जलाने के कुछ नियम होते हैं. मसलन अखंड दीप जलाने वाले व्यक्ति को जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोना पडता है. किसी भी हाल में जोत बुझना नहीं चाहिए और इस दौरान घर में भी साफ सफाई का खास ध्यान रखा जाना चाहिए.