जानिए शरद पूर्णिमा के विशेष महत्व के बारें में..

अश्विन मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। इस पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा नाम से जाना जाता है। अश्विन मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। इस पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार कुछ रातों का विशेष महत्व है जैसे नवरात्रि, शिवरात्रि और शरद पूर्णिमा। मान्यता है कि मां लक्ष्मी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति शरद पूर्णिमा को हुई थी। इस कारण इस तिथि को धनदायक माना जाता है। इस रात्रि में मां लक्ष्मी का पूजन करने से मां की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। इसी दिन से मौसम बदलता है और सर्दियों का आंरभ होता है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। इस रात्रि चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं। शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने की परंपरा है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गंगाजल छिड़कें। मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें लाल चुनरी भेंट करें। लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूप-दीप, सुपारी से मां की विधिवत पूजा अर्चना करें। शाम को मां लक्ष्मी और भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करें। खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें। मध्य रात्रि में मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में परिवार में वितरित करें। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक में भ्रमण करती हैं। शरद पूर्णिमा की रात कुछ घंटों के लिए चंद्रमा की शीतल चांदनी में बैठना चाहिए। इस रात्रि में चंद्रमा की तरफ एकटक निहारने से या सुई में धागा पिरोने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com