जाने किसने किया था महाभारत काल में गजलक्ष्मी व्रत और क्या है पौराणिक कथा

आप सभी जानते ही होंगे पितृपक्ष के बीच में महालक्ष्मी व्रत करते है. ऐसे में आप यह भी जानते ही होंगे कि यह व्रत राधा अष्टमी से शुरू होता है और पितृपक्ष की अष्टमी तक चलता है. अब इस बार गज लक्ष्मी का व्रत 10 सितंबर को आने वाला है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं महाभारत काल में गजलक्ष्मी व्रत किसने किया था, क्या है पौराणिक कथा.

पौराणिक कथा- एक बार महालक्ष्मी का पर्व आया. हस्तिनापुर में गांधारी ने नगर की सभी स्त्रियों को पूजा का निमंत्रण दिया परन्तु कुन्ती से नहीं कहा. गांधारी के 100 पुत्रों ने बहुत सी मिट्टी लाकर एक हाथी बनाया और उसे खूब सजाकर महल में बीचो बीच स्थापित किया. सभी स्त्रियां पूजा के थाल ले लेकर गांधारी के महल में जाने लगी. इस पर कुन्ती बड़ी उदास हो गईं. जब पांडवों ने कारण पूछा तो उन्होंने बता दिया मैं किसकी पूजा करूं ? अर्जुन ने कहा मां ! तुम पूजा की तैयारी करो ,मैं तुम्हारे लिए ऐसा हाथी लाता हूँ जो धरती के किसी कोने में नहीं मिलेगा…

अर्जुन इन्द्र की अप्सरा के माध्यम से इंद्र के पास गया. और निवेदन कियाकि मुझे आपका ऐरावत चाहिए… और अपनी माता के पूजन हेतु वह ऐरावत को ले आया. माता ने सप्रेम पूजन किया. सभी ने सुना कि कुन्ती के यहाँ तो स्वयं इंद्र का एरावत हाथी आया है तो सभी कुन्ती के महलों की ओर दौड पड़ी और सभी ने पूजन किया. इस तरह महाभारत काल में गजलक्ष्मी व्रत कुन्ती ने किया था.

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