23 मई 17…. सर्वप्रथम, पाकिस्तान के विरुद्ध उठाये जा रहे कदम के लिए बधाई।
श्रीगुरुजी कभी – कभी आश्रम सदस्यों से चुहल भी करते हैं। एक बार की बात बताती हूँ।श्रीगुरुजी रात में अक्सर library में बैठ जाते हैं और आश्रम में रुके हुए सदस्यों के साथ सत्संग करते हैं।ऐसे में किसी भी प्रकार की औपचारिकता इन्हें अच्छी नहीं लगती और साथ में इनका यह भी कहना है कि जिसे भी भूख लगे या नींद आये ,तो निःसंकोच उठ जाए पर लोग जब ऐसा नहीं करते तो वे मीठे रूप में उन्हें सताते भी खूब हैं।
हाल-फिलहाल में, रात में सत्संग चल रहा था, एक सज्जन खाना खाने से रह गए थे, उनसे बार -बार खाने को कहा गया पर संकोच से वह उठ नहीं रहे थे।श्रीगुरुजी ने उन्हें मज़ा चखाने की सोची….वे ढाई घंटे तक बिना रुके प्रवचन देते रहे…तब तक तो रसोई भी बंद हो गयी।
इतने में एक और सदस्य आये जिन्हें अक्सर देर रात के सत्संग में नींद घेर लेती है…तो जैसे ही वह सदस्य भीतर आये, श्रीगुरुजी बोले,” हां भई…. सोने के लिये इन्हें एक कुर्सी दो…।”
ये दो वाक्ये निपटे ही थे, इतने में मैं वासु को सुला कर सत्संग में उपस्थित हुई। मुझे देखकर लोग, खड़े होकर अपनी कुर्सी देने लगे…मैं इशारे में सबको शांति से बैठे रहने को कह ही रही थी कि ये बोले,” इन लोगों को लगता है कि आप 8 कुर्सियों पर बैठेंगी…।”
मैं चुप और बाकी चुप-चाप जहां खड़े थे, वहीं बैठ गए…।
….तो next time, श्रीगुरुजी के साथ सत्संग में बैठने वालों …take care
😊 नींद आये तो सोने चले जाना, समय रहते ही खाना खा लेना, फायदा क्या…न सो पाओ, न खा पाओ और मन लगा कर सुन भी न पाओ….
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