23 मार्च 17…श्रीगुरुजी कल रात किसी कार्य में व्यस्त थे तो सोते- सोते 3 बज गए थे….आधे घंटे बाद ही इनके किसी से बोलने की आवाज़ से मेरी आँख खुल गयी। मैंने पूछा ,” क्या हुआ, सब खैरियत? ” श्रीगुरुजी बोले, ” बाहर जो पुलिस की गाड़ी गश्त लगा रही है , उसे रोकने के लिए मैं गार्ड को फ़ोन कर रहा था….नीचे चलिए, मैं सभी पुलिस वालों को मिठाई खिलाना चाहता हूँ।” मैं डिब्बा ले इनके साथ हो ली। हम जल्दी- जल्दी गेट पर पहुंचे और श्रीगुरुजी ने अपने हाथ से सभी पुलिस वालों को मिठाई खिलाई।सारे पुलिस वाले अभिभूत थे….बोले,”
अरे गुरूजी! इस समय आप हमें मिठाई खिलाने आ
ये? ” जवाब में ये बोले,” आप लोग हमारी सुरक्षा के लिए रात भर जाग कर, यहाँ गश्त लगाते हैं… यह सरल काम नहीं….।सीमा पर चौकसी करने वाले सैनिक मेरे लिए जितने आदरणीय हैं, उतने ही अंदर की चौकसी करने वाले आप लोग भी। मैं आपको अपने हाथ से मिठाई खिला कर खुद संतुष्ट होना चाहता था…..क्योंकि जो शहीद हुए हैं आज के दिन उनको तो मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि है ही, पर जो जाग रहे हैं हमारी हिफाज़त के लिए , उनके लिए क्या मैं एक रात नहीं जाग सकता…?”
सारे पुलिस वाले भावुक हो गए और मिठाई माथे से लगा कर बोले, ” आपके हाथ से यह मिठाई हमारे लिए प्रसाद हो गयी…”
….और यह प्रसाद सुबह 4 बजे की ब्रह्मवेला में मैंने भी माथे से लगाया….